टॉप 3 टेलिकॉम कंपनियों ने भारी लागत पर बढ़ाया 4G स्पेक्ट्रम
|देश की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम ऑक्शन गुरुवार को समाप्त हो गई जिसमें टेलिकॉम कंपनियों ने पांच दिनों में 65,789 करोड़ रुपये की बिड दी। हालांकि, इसमें प्रीमियम Mhz (4G) बैंड सहित 60 प्रतिशत स्पेक्ट्रम नहीं बिका। विश्लेषकों का कहना है कि इस स्पेक्ट्रम पर किए गए बड़े खर्च से टेलिकॉम कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर असर पड़ सकता है।
देश की टॉप तीन टेलिकॉम कंपनियों- भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर ने ऑक्शन में महत्वपूर्ण मार्केट्स के लिए अपने 4G स्पेक्ट्रम में बढ़ोतरी के लिए कदम उठाए हैं। इससे इन कंपनियों को रिलायंस जियो इन्फोकॉम को टक्कर देने में मदद मिलेगी, लेकिन ऐनालिस्ट्स मानते हैं कि इस स्पेक्ट्रम की लागत अधिक होने के चलते भविष्य में इन कंपनियों की फाइनैंशल पोजीशन कमजोर हो सकती है।
बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच का कहना है कि अब टॉप तीन टेलिकॉम कंपनियों के पास मुकेश अंबानी की जियो का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त 4G स्पेक्ट्रम है।
ऑक्शन में एयरटेल ने देशभर में अपने डेटा स्पेक्ट्रम को मजबूत करने के लिए 174 Mhz स्पेक्ट्रम खरीदा है जबकि वोडाफोन ने लगभग 283 Mhz स्पेक्ट्रम खरीदकर अपनी 4G कवरेज नौ सर्कल से बढ़ाकर 17 सर्कल तक कर ली है। आइडिया ने 20 सर्कल में अपनी 4G सर्विसेज बढ़ाने के लिए लगभग 275 Mhz स्पेक्ट्रम लिया है। जियो के पास सभी 22 सर्कल में 4G स्पेक्ट्रम मौजूद है और इसने करीब 215 Mhz स्पेक्ट्रम खरीदा है।
विश्लेषकों ने कहा कि 4G स्पेक्ट्रम हासिल करने की इस होड़ के लिए एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया को बड़े खर्चे उठाने पड़े हैं। इन कंपनियों ने नया स्पेक्ट्रम लेने पर क्रमश: 14,244 करोड़ रुपये, 12,798 करोड़ रुपये और 20,280 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इससे इन कंपनियों की बैलेंस शीट पर कर्ज का बोझ और बढ़ जाएगा। यह स्थिति एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया के लिए चिंताजनक है क्योंकि उनके पास जियो जैसी बड़ी टेलिकॉम कंपनी के मार्केट में उतरने से बढ़े कॉम्पिटिशन का मुकाबला करने के लिए प्राइसिंग पावर नहीं होगी। इन तीनों कंपनियों को अपने नेटवर्क के एक्सपैंशन और उसे अपग्रेड करने पर बड़ा खर्च करने की जरूरत होगी।
क्रिसिल रिसर्च के डायरेक्टर अजय श्रीनिवासन ने बताया, ‘टेलिकॉम सेक्टर के रेवेन्यू के तीन-चौथाई हिस्से पर कब्जा रखने वाली टॉप तीन टेलिकॉम कंपनियों को अगले दो वर्षों में नेटवर्क पर लगभग 80,000 करोड़ रुपये का खर्च करना होगा, जो पिछले दो फाइनैंशल इयर में नेटवर्क पर किए गए कुल कैपिटल एक्सपेंडिचर से 25 प्रतिशत अधिक होगा।’
श्रीनिवासन ने कहा कि यह ऐसे समय में हो रहा है कि जब जियो की सर्विसेज लॉन्च होने से इन कंपनियों की प्रॉफिटेबिलिटी और कैश फ्लो पर दबाव बढ़ने की आशंका है। इस स्थिति से निपटने के लिए इन कंपनियों को एक्सटर्नल फंडिंग पर अपनी निर्भरता बढ़ानी होगी। रेटिंग एजेंसी इकरा के अनुमान के मुताबिक, टेलिकॉम इंडस्ट्री का कंसॉलिडेटेड डेट हाल ही में समाप्त हुई स्पेक्ट्रम ऑक्शन के बाद बढ़कर 4,25,000 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा जो मार्च के अंत में 4,10,000 करोड़ रुपये पर था।
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