टेनिस 2015: सानिया के लिए ऐतिहासिक रहा साल
|चार्ल्सटन में सत्र की लगातार तीसरी जीत दर्ज करने के साथ ही सानिया युगल रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंची और उसे बरकरार रखा। सत्र के आखिर तक दोनों ने नौ खिताब अपने नाम कर लिए जिनमें विम्बलडन, अमेरिकी ओपन और सत्र का आखिरी डब्ल्यूटीए फाइनल्स शामिल है। दोनों ने साथ में 16 टूर्नमेंट खेले और उनका जीत हार का रेकॉर्ड 55-7 रहा है। टेनिस एकल में भारत को हालांकि उतनी कामयाबी नहीं मिली लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि टेनिस में युगल वर्ग में भी लिएंडर पेस और महेश भूपति के बाद सानिया के रुप में दूसरा चैम्पियन पैदा करने में भारत को करीब 15 साल लग गए। सानिया ने 2015 में कुल 10 खिताब जीते जिनमें नौ मार्तिना के साथ और एक अमेरिका की बेथानी माटेक सैंड्स के साथ जीता।
पुरुष टेनिस में दिल्ली के युकी भांबरी ने उम्दा प्रदर्शन किया। वह पहली बार एकल रैंकिंग में शीर्ष 100 में पहुंचे जिससे उन्हें ग्रैंडस्लैम में सीधे प्रवेश मिला। सोमदेव देववर्मन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। पेस ने मार्तिना के साथ तीन मिश्रित युगल खिताब जीतकर उपलब्धियों का सिलसिला जारी रखा। सातवां ओलिंपिक खेलने की दहलीज पर खड़े पेस ने कोर्ट से बाहर भी चुनौतियों का सामना किया जब पूर्व जीवनसाथी रिया पिल्लै से उन्हें अपनी बच्ची के संरक्षण के लिये कानूनी लडाई लड़नी पड़ी।
इसके बावजूद टेनिस कोर्ट पर उन्होंने जबर्दस्त प्रदर्शन किया लेकिन पुरुष युगल में उसे दोहरा नहीं सके। अलग-अलग जोड़ीदारों के साथ 26 टूर्नमेंट खेलकर 42 बरस के पेस सिर्फ तीन बार फाइनल तक पहुंचे और एक जीता। वहीं 15 से अधिक टूर्नमेंटों में दूसरे दौर से आगे नहीं बढ़ सके। एकल में युकी ने जहां अच्छा प्रदर्शन किया, वहीं सोमदेव लय हासिल करने के लिए जूझते रहे। युकी ने दो चैलेंजर स्तर के एकल खिताब जीते और अपने से बेहतर रैंकिंग वाले खिलाड़ियों को हराया। वहीं खराब फॉर्म से जूझ रहे सोमदेव अब रैंकिंग में 180वें स्थान पर है। उम्मीद है कि नये कोच के साथ अगले साल वे बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।
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