चीन में इंटरनेट पर स्टॉक मार्केट से जुड़े सर्च पर बैन
| चीन में जारी आर्थिक संकट का आलम ये है कि सरकार ने सेंसरशिप को इतना कड़ा कर दिया है कि न सिर्फ अख़बारों में ऐसे आर्टिकल्स को छापने से रोक दिया गया है जो सरकारी बयानों से इतर हैं बल्कि इंटरनेट पर इकॉनमी और स्टॉक मार्केट से जुड़े सर्च पर भी रोक तक लगा दी गई है। साथ ही सोशल मीडिया पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है। चीन की न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक मंगलवार को एक प्रतिष्ठित फाइनैंशल मैगज़ीन ‘काइजिंग’ के एक पत्रकार को पुलिस इसलिए उठा ले गई क्यों उन्हें शक था कि वह फ्यूचर ट्रेडिंग से जुड़ी गलत और मनगढ़ंत ख़बरें फैला रहे हैं। आर्टिकल में इस बात की अटकलें लगाई गईं थीं कि चीन का सिक्यॉरिटी रेगुलेटरी कमिशन लगातार धराशायी हो रहे स्टॉक मार्केट से फंड निकालने पर विचार कर रहा है। चीन की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सोशल मीडिया पर गुपचुक तरीके से ही सही लेकिन जबर्दस्त बहस जारी है कि क्या चीन अस्सी के दशक का जापान तो साबित नहीं होने जा रहा है? जापान में भी अस्सी के दशक में जबर्दस्त इकनॉमिक बूम देखने को मिला था, जिसने उसे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के पायदान पर पहुंचा दिया था। लगातार करीब 5 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर के साथ जापान अस्सी का दशक खत्म होते-होते चरम पर पहुंच चुका था। लेकिन इससे बाद से ही उसकी वृद्धि दर थम सी गई और कुछ समय बाद उसमें गिरावट भी देखी जाने लगी। जापान की इस स्थिति का सबसे ज्यादा नुकसान वहां के मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ा जिन्होंने बहुत बड़ी रकम देश की मजबूत होती अर्थव्यवस्था में लाभ की आशंका में लगा रखा था। चीन में भी जारी आर्थिक संकट की मार सबसे ज्यादा वहां के मध्यमवर्गीय परिवारों पर ही पड़ी है जिनकी बचत भी उनके खर्चों पर निर्भर करती है। झांग युआनवान (31) चीन के शैंगडॉन्ग प्रांत में ऐसी ही एक बैंककर्मी हैं। इन्हें भी पिछले साल की तरह इस साल भी बोनस की उम्मीद कम ही है। उनका कहना है कि ‘मैं कम खर्च करने की कोशिश कर रही हूं। मैं शॉपिंग मॉल से कपड़े खरीदने की बजाय अब ऑनलाइन सस्ते कपड़े खरीद रही हूं। इसके अलावा मैंने अपनी कार खड़ी कर अब कारपूलिंग शुरू कर दी है।’ देश की डबल डिजिट इकनॉमिक ग्रोथ के दौरान उभर कर आने वाले तमाम ऐसे ही उच्च मध्यमवर्गीय परिवार अब आर्थिक संकट की छाया से जूझ रहे हैं। ऐसे परिवारों ने छुट्टियां रद्द कर दी हैं, शादियां टाल दी हैं और हालिया खरीदे गए अपार्टमेंट्स को भी नगद के एवज में बेच रहे हैं, खासकर वे जिन्होंने स्टॉक मार्केट क्रैश में अपनी बड़ी रकम गवां दी।
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