खपत कम करने के लिए सरकार अगले वर्ष से यूरिया की बिक्री 45 किग्रा के बैग में करेगी
|अधिकारी ने कहा कि यूरिया के 45 किग्रा के बैग की बिक्री 245 रुपये और विभिन्न करों के साथ मिलाने के बाद पर की जायेगी जो 50 किग्रा के यूरिया के बैग के लिए 268 रुपये इसके अतिरक्त विभिन्न करों को मिलाकर से कहीं कम है।
अधिकारी ने पीटीआई भाषा को बताया, योजना तैयार की जा रही है। कंपनियां इस परिवर्तन के लिए तैयार हैं। वे 45 किग्रा बैग होने की छपाई करेंगे। इसे अगले वर्ष से लागू किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि असल उद्देश्य यूरिया की खपत को कम करना तथा उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना है।
चूंकि यूरिया अन्य उर्वरकों से सस्ता है, इसलिए व्यापक तौर पर इसका इस्तेमाल करते हैं। सरकार की ओर से इसको काफी सब्सिडी प्राप्त होती है तथा इसकी अधिकतम खुदरा कीमत अब 5,360 रुपये प्रति टन की है।
अधिकारी ने ब्योरा दिया, यूरिया की खपत को घटाने के लिए हमने विभिन्न उपायों के बारे में सोचा। नीत लेपित यूरिया उनमें से एक था। जो हमने लागू किया है। अब हम 45 किग्रा के बैग के बारे में सोच रहे हैं।
सामान्य तौर पर किसान प्रत्येक हेक्टेयर भूमि के लिए बैगों की संख्या के हिसाब से यूरिया का इस्तेमाल करते हैं … जब हमने किसानों को 50 किग्रा के बैग की संख्या को कम करने के लिए कहा, उन्होंने नहीं सुना। इसलिए हमने खपत को कम करने के लिए 45 किग्रा के बैग का इस्तेमाल करने का फैसला किया है।
अधिकारी ने कहा कि किसान 45 किग्रा का बैग खरीदेंगे और जितने बैग का वह पहले इस्तेमाल करते थे उतने का ही इस्तेमाल करेंगे। यह अप्रत्यक्ष रूप से खपत में 10 प्रतिशत की कमी करेगा।
यूरिया की वार्षिक सब्सिडी करीब 40,000 करोड़ रुपये है। भारत में पिछले वर्ष से करीब 2.4 करोड़ टन यूरिया का उत्पादन हो रहा है जो 2.2 करोड़ टन की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
भाषा राजेश
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