‘किसी ने कागज गिरवी रख पटाखे खरीदे तो किसी ने लाखों में ली किराए पर दुकान’
|दिवाली को देखते हुए मोटी कमाई का सपना पाले हुए दिल्ली के पटाखा कारोबारियों पर मुसीबत का पहाड़ टूटता नजर आ रहा है। किसी कारोबारी ने मकान के कागज किराए पर रखकर पटाखे खरीदे तो किसी ने मोटी धनराशि देकर दुकान किराए पर ली। अब पटाखों का क्या करें। बेच नहीं सकते। अगर स्टोर में पड़े रह गए तो भी कानूनी कार्यवाही का डर सताता रहेगा। थोक कारोबारियों ने पटाखों की सप्लाई रिटेलरों को भी कर दी है। अब वहां भी उनका पैसा फंसा हुआ है। दूसरी ओर सदर बाजार के अन्य कारोबारियों ने पटाखा प्रतिबंध की सराहना की है।
सीजन के दौरान पटाखों का धंधा दिल्ली के कारोबारियों को आकर्षित करता है। उसका कारण यह है कि इसकी बिक्री में 60 से 70 प्रतिशत तक का मुनाफा होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सैंकड़ों लोग अस्थायी लाइसेंस के लिए अप्लाई करते हैं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने से इन लोगों पर भारी मुसीबत आती नजर आ रही है। पटाखा विक्रेता असोसिएशन के अध्यक्ष नरेंद्र गुप्ता के अनुसार प्रदूषण के हो-हल्ले और सुप्रीम कोर्ट के पहले आदेश के अनुसार इस बार अस्थायी लाइसेंस कम मिले तो दूसरी ओर अब अचानक ही इनकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है। उनका कहना है कि बड़े कारोबारी पटाखों की थोक खरीद कर उसे रिटेलरों को दे चुके हैं। लेकिन उनका माल फंस गया है, क्योंकि अधिकतर पैसा माल बिकने के बाद ही मिलता था। रिेटलेर कह रहे हैं कि माल उठा लो। हमें नहीं चाहिए। कारोबारियों के लिए भारी मुसीबत हो रही है।
सदर बाजार के थोक पटाखा कारोबारी हरजीत सिंह छावड़ा के अनुसार बाजार में इस बार 24 दुकानदारों को ही अस्थायी लाइसेंस मिले हैं, जबकि पिछली बार इनकी संख्या तिगुना थी। कई व्यापारी तो ऐसे हैं दिवाली सीजन के लिए बाजार में मोटी धनराशि देकर किराए पर दुकान ली है। अब यह पैसा फंस चुका है, क्योंकि कोर्ट के आदेश के चलते दुकान से माल नहीं बेच सकते। लेकिन दुकान का किराया अदा कर चुके है। अब क्या करें। किसी ने चोरी-छिपे बेचने की कोशिश की तो आसानी से शिकायत हो जाएगी। जामा मस्जिद स्थित पाईवालान के पटाखा दुकानदार भी खासे परेशान हो रहे हैं। यहां अस्थायी लाइसेंस पाने वाले दुकानदार प्रवेश मोहन ने बताया कि उन्होंने अपने मकान के कागजात गिरवी रखकर पैसे पकड़े और पटाखे खरीद लिए। ऐसा हर साल होता है, क्योंकि पटाखों से अच्छी खासी कमाई हो जाती है। लेकिन अब हालत बुरी हो रही है। कागज गिरवी हैं और पटाखे बिक नहीं रहे हैं। उन्होंने बताया कि लोगों ने घरों की जूलरी तक गिरवी रखकर पटाखे खरीदे हैं अब इस जगमग दिवाली में उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा रहा है।
दूसरी ओर सदर के अन्य कारोबारियों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पटाखों की बिक्री पर पाबंदी की सराहना की है। उनका कहना है कि इनके कारण बाजार का बुरा हाल हो जाता है और सड़कों तक पर खुलेआम पटाखे बिकते हैं। बाजार की फेडरेशन ऑफ सदर बाजार एसोसिएशन के महासचिव राजेंद्र शर्मा के अनुसार यह बाजार इतना संकरा और भारी भीड़ वाला है कि अगर पटाखों के चलते कोई दुर्घटना हो गई तो यहां भारी जान- माल की हानि हो सकती है। पटाखा दुकानदारों से पटाखे खरीदकर लोग पूरे सदर में पटाखे बेचते हैं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था को भी गंभीर खतरा हो जाता है।
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