कस्टमर्स का आरोप, बैंक ने नहीं दी चोरी की सूचना
| गाजियाबाद
मोदीनगर में 1971 में पीएनबी की ब्रांच खोली गई थी। तब से बैंक में कोई वारदात नहीं हुई थी। यह पहला मौका है जब बैंक में इतनी बड़ी चोरी हुई है। वहीं, बैंक के मैनेजर ने कहा है कि बैंक के कस्टमर्स का विश्वास वह खोने नहीं देंगे। कई कस्टमर्स ऐसे भी मिले, जिनके लॉकर का एक ताला टूटा था, लेकिन दूसरा ताला सही सलामत था। इस वजह से उनके लॉकर में रखा उनका कीमती सामान बच गया।
बैंक ने सूचना तक नहीं दी
कई कस्टमर्स का आरोप था कि बैंक में रखी उनकी जिंदगी भर की कमाई चोरी हो गई, लेकिन बैंक ने हमें सूचना तक नहीं दी। मंगलवार सुबह अखबार देखकर उन्हें चोरी की पता चला। इसके बाद वे बैंक पहुंचे। इस सवाल के जवाब में बैंक मैनेजर का कहना था कि वारदात के बाद वह पूरे दिन कानूनी औपचारिकता निभाने में फंसे रहे थे। जिन बैंक के लॉकर को तोड़ा गया, वे किसके है। उन कस्टमर्स के नाम चेक किए गए। मंगलवार को सूचना देनी शुरू कर दी थी।
जिंदगी भर की कमाई चली गई
पिछले 45 साल से मेरा परिवार इस बैंक से जुड़ा हुआ है। 45 साल पहले मेरे पिता ने बैंक में अकाउंट खुलवाला था। बैंक मैनेजर के कहने पर उन्होंने लॉकर भी लिया था। उसके बाद से मेरी दादा-दादी और मां ही नहीं, बल्कि मेरी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य अपनी जूलरी इस बैंक के लॉकर में रखते रहे थे। पुश्तैनी जेवर होने के कारण परिवार का उनसे लगाव था। बैंक में चोरी की जानकारी मिलने के बाद से ही पूरा परिवार सदमे में है। समझ नहीं आ रहा कि क्या करें। हमारी तो जिंदगी भर की कमाई ही लुट गई। – सतीश नेहरा
ताला टूटा, लेकिन बच गया सामान
मंगलवार को जब सवेरे मुझे बैंक में चोरी की जानकारी मिली तो मैं दौड़े-दौड़े के बैंक पहुंचा। मैंने लॉकर खुलवाकर चेक किया तो राहत मिली। मेरा लॉकर टूटने से बच गया था। हालांकि मेरे लॉकर में ऊपर से अलग से एक ताला लगाया था, वह नहीं मिला। – अरुण कुमार, मोहनपार्क
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