ई-वीइकल्स के लिए कंपनियों को ओपन चैलेंज देगी सरकार
|इलेक्ट्रिक गाड़ियों, बैटरी और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए भारत टेस्ला के मालिक एलन मस्क से प्रेरित एक नीति पर काम कर रहा है, जिसमें दुनिया और देश की कंपनियों को तय समय में मैन्युफैक्चरिंग फसिलटी बनाने की चुनौती दी जाएगी। इन प्लांट्स के लिए सरकार कंपनियों को जमीन और दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर सहित हर तरह से सपॉर्ट देगी।
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने मस्क को एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट दिया, जिसके लिए कड़ा मुकाबला था। मस्क ने वहां की सरकार से कहा था कि वह 100 दिन में ग्रिड स्केल बैटरी तैयार नहीं कर पाए तो वह इसके लिए एक भी पैसा नहीं लेंगे। इस कमिटमेंट के बाद टेस्ला के मालिक कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने में सफल रहे। मस्क इसके तहत एक लिथियम आयन बैटरी बनाएंगे, जिससे पावर कट होने पर 30,000 घरों को बिजली की सप्लाई की जा सकेगी।
भारत में नीति आयोग इलेक्ट्रिक वीइकल पॉलिसी पर काम कर रहा है। उसने कार कंपनियों को इस चुनौती के बारे में बताया है। आयोग ने कई भारतीय और विदेशी कार, बैटरी और चार्जिंग स्टेशन इक्विपमेंट कंपनियों से पिछले महीने बात की थी। अभी तक प्रॉजेक्ट्स के स्केल और समयसीमा पर काम नहीं हुआ है, लेकिन सरकार इनमें इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए आकर्षक शर्तें रखना चाहती है। इस मामले से जुड़े एक करीबी सूत्र ने बताया, ‘सरकार इलेक्ट्रिक वीइकल टेक्नॉलजी को तेजी से अपनाना चाहती है। वह ग्लोबल स्टैंडर्ड्स को लाना चाहती है। सरकार देख रही है कि उन्हें भारत में किस तरह से अपनाया जा सकता है। ओपन चैलेंज का मकसद कम समय में मैच्योर टेक्नॉलजी को देश में लाना है। सरकार से समर्थन मिलने से ओपन चैलेंज में कार कंपनियों को फायदा होगा।’
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘सरकार कई विकल्पों के बारे में सोच रही है। ड्राफ्ट इलेक्ट्रिक वीइकल पॉलिसी में अंतरराष्ट्रीय कार कंपनियों के लिए ओपन चैलेंज का जिक्र हो सकता है। ड्राफ्ट पॉलिसी को इस महीने के अंत तक मंत्रालयों के पास उनकी राय लेने के लिए भेजा जा सकता है।’ सरकार पहले ही 10,000 ई-वीइकल्स का टेंडर देने जा रही है। वह बैटरी से चलने वाले ऑटोरिक्शा और बसें भी खरीदना चाहती है, जिससे पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स पर निर्भरता कम हो। वह ई-वीइकल्स को सपॉर्ट देने के लिए टैक्स छूट पर भी विचार कर रही है।
भारत ने 2030 तक ऑल इलेक्ट्रिक फ्लीट का लक्ष्य रखा है। नीति आयोग की पॉलिसी से इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। इस पॉलिसी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को धीरे-धीरे बैटरी से चलने वाली गाड़ियों पर शिफ्ट करने का प्रस्ताव है। उसके बाद निजी गाड़ियों के मामले में ग्रीन टेक्नॉलजी को बढ़ावा दिया जाएगा। फास्टर अडॉप्टेशन एंड हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक (फेम) वीइकल एक और योजना है। इसे नीति आयोग को सौंपा गया है। इसमें भी इलेक्ट्रिक वीइकल कंपनियों को कुछ टैक्स छूट दी जा सकती है।
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