इंट्रेस्ट रेट कट से बढ़ीं बुजुर्गों की मुश्किलें
|इस फेस्टिव सीजन में इंट्रेस्ट रेट घटने के कारण लोन लेने वालों में खुशी की लहर है, लेकिन बुजुर्गों की मुश्किलें बढ़ गई हैं, खासतौर पर पेंशनयाफ्ता सरकारी कर्मचारियों की।
इंट्रेस्ट रेट घटने के कारण फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ दूसरे सभी तरह के इनवेस्टमेंट पर कम ब्याज मिल रहा है। लिहाजा सीनियर सिटिजंस को उनके मंथली कॉरपस पर औसतन 1000 से लेकर 1700 रुपये तक की इंट्रेस्ट इनकम का नुकसान हो रहा है। ऐसे बुजुर्ग जिन्हें पेंशन नहीं मिलती और जिनकी आमदनी का एकमात्र जरिया इंट्रेस्ट इनकम है, उनकी मुश्किलें डिपॉजिट रेट घटने से सबसे ज्यादा बढ़ गई हैं। दवाओं के लगातार बढ़ते खर्च और महंगाई ने उनकी परेशानियां और बढ़ा दी हैं। पिछले 10 महीने में बैंकों ने डिपॉजिट रेट में 1 फीसदी तक की कमी की है। लिहाजा 1 लाख रुपये जमा करने वाले बुजुर्गों को हर साल नए रेट स्ट्रक्चर के मुताबिक 1000 रुपये तक कम इंट्रेस्ट मिलेगा।
आरबीआई से रिटायर होने के बाद पेंशनधारियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले बिनय कुंडू ने कहा, ‘सीनियर सिटिजंस के गुजर-बसर के लिए यह एक चुनौती है।’ जिन लोगों के डिपॉजिट पिछले कुछ महीनों में मच्योर हुए हैं, उन पर सबसे ज्यादा दबाव है। दो-तीन साल पहले बुजुर्गों को डिपॉजिट पर 9.5 फीसदी का ब्याज मिलता था, लेकिन अब नए इंट्रेस्ट रेट के तहत उन्हें 2 फीसदी ब्याज का नुकसान हो रहा है।
2010 में एक बैंक से रिटायर होने वाले एस महापात्रा ने कहा, ‘हमने अपना प्रॉविडेंट फंड अलग-अलग मच्योरिटी के लिए एफडी किया है। हम इसी तरह से अपनी आमदनी बढ़ाने की कोशिश में थे, हालांकि इंट्रेस्ट रेट घटने का असर हमारी आमदनी पर हो रहा है।’ कुंडू ने कहा कि स्मॉल सेविंग्स पर रेट कट की चर्चा एक अलग मुसीबत है। हालांकि सरकार ने कहा था कि वह स्मॉल सेविंग्स रेट्स को रिवाइज करेगी और पेंशनभोगी लोगों का ख्याल रखते हुए इसमें तुरंत कोई कटौती नहीं करेगी। पिछले एक साल से स्मॉल सेविंग्स रेट्स 8.4-8.5 पर्सेंट चल रहा है।
इंडिया रेटिंग्स के मैनेजिंग डायरेक्टर आनंदा भौमिक ने कहा, ‘यह एक स्ट्रक्चरल मसला है और जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लिया जाएगा। स्मॉल सेविंग्स का एक बड़ा हिस्सा ऐसे लोगों का होता है, जो कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं और उनके लिए यह इंट्रेस्ट इनकम गुजर-बसर का जरिया है।’
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