आयरलैंड के भारतीय मूल के पीएम गर्भपात पर बैन हटाने के लिए कर रहे प्रचार

लंदन
आयरलैंड के भारतीय मूल के प्रधानमंत्री लियो वराडकर ने गर्भपात पर प्रतिबंध हटाने के वास्ते अपने प्रचार के दौरान गुरुवार को आखिरी प्रयास किया। अब शुक्रवार को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जनमत संग्रह होगा। वराडकर ने मतदाताओं से जनमत संग्रह में यह सुनिश्चित करने के लिए बड़ी संख्या में मतदान करने का आग्रह किया कि संविधान में 8वें संशोधन को निरस्त किया जा सके।

संविधान में 8वां संशोधन गर्भपात पर प्रतिबंध लगाता है। 31 वर्षीय भारतीय दंत चिकित्सक सविता हलप्पनवार की अक्टूबर 2012 में समय पर गर्भपात नहीं कराने से हुई मौत के मामले को भी प्रचार के दौरान उठाया गया। वराडकर ने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि इस जनमत संग्रह में बहुत लोग भाग लेंगे।’ आयरलैंड की 2 प्रमुख पार्टियों फाइन गेल और फिआना फेल ने जनमत संग्रह पर हालांकि कोई आधिकारिक रुख नहीं लिया है और उन्होंने अपने राजनेताओं को व्यक्तिगत रूप से प्रचार करने की अनुमति दी है।

हलप्पनवार के पिता अनदंप्पा यालगी ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि आयरलैंड के लोग जनमत संग्रह के दिन मेरी बेटी सविता को याद रखेंगे और जो उसके साथ घटित हुआ ऐसा किसी अन्य परिवार के साथ नहीं होना चाहिए।’ उन्होंने कर्नाटक में अपने घर से फोन पर ‘द गार्डियन’ को बताया, ‘मैं उसके बारे में हर दिन सोचता हूं। 8वें संशोधन के कारण उन्हें चिकित्सा उपचार नहीं मिला। उन्हें कानून बदलना होगा।’

अगर लोग इस कानून को निरस्त करने के लिए वोट देते हैं, तो आयरिश सरकार का प्रस्ताव है कि गर्भावस्था के पहले 12 सप्ताह के भीतर महिलाएं गर्भपात करा सकती हैं। उसके बाद गर्भपात के 24वें सप्ताह तक गर्भपात की उस समय अनुमति दी जाएगी, जब किसी महिला के जीवन को खतरा हो या किसी महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान होने का जोखिम हो।

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