अश्लील कंटेंट: क्या है छोटे पर्दे का बड़ा विवाद, जानिए अभी

  नई दिल्ली. बड़े पर्दे से उलट टीवी घरों के ड्राइंगरूम का हिस्सा है और परिवार, खासकर बच्चों के लिए मनोरंजन का सरल साधन भी। मगर फिल्म, सीरियल्स, कॉमेडी शो और म्यूजिक के जरिए परोसी जा रही सामग्री अभिभावकों की चिंता लगातार बढ़ा रही है। दरअसल, फिल्मों की तरह टेलीविजन शोज को प्रसारण से पहले सेंसर बोर्ड की कसौटी पर नहीं परखा जाता। इन शोज की समीक्षा तभी की जाती है, जब दर्शकों को आपत्ति हो। इतना ही नहीं, फिलहाल बड़े शहरों में करीब 18 अंग्रेजी चैनल्स का प्रसारण हो रहा है। इनमें से अधिकांश चैनल्स अमेरिकी हैं। दिक्कत यह है कि अमेरिकी समाज में ऐसी कई बातें मान्य हैं, जो भारत में नहीं हैं। यही वजह है कि भारत में टीवी कंटेंट के खिलाफ शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। कई मामले तो कोर्ट तक भी पहुंचे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी हाल ही में एक सुनवाई के दौरान की है। आइए जानते हैं क्यों उठता है टीवी के कंटेट पर विवाद…   अश्लीलता के मापदंड भी बहस का मुद्दा  समाजशास्त्रियों का तर्क है कि जिस कार्यक्रम को घर के सभी सदस्य एक साथ बैठकर न देख सकें, ऐसे तमाम शो ‘ए’( वयस्क)…

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