अनिता देसाई और विक्रम सेठ लौटा सकते हैं पुरस्कार

लंदन सुप्रसिद्ध उपन्यासकार अनिता देसाई ने अभिव्यक्ति की आजादी के मुद्दे पर साहित्य अकादमी से अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं किया गया तो वह पुरस्कार लौटा देंगी।

उन्होंने कहा कि अकादमी स्वायत्त संस्था है, न कि सरकारी, जो फ्रीडम ऑफ स्पीच की रक्षा, सवाल और असहमति के अधिकार के लिए बनी है। 78 साल की लेखिका को 1978 में उनके उपन्यास ‘फायर ऑन द माउंटेन’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था।

वहीं उपन्यासकार विक्रम सेठ का कहना है कि वह साहित्य अकादमी की बैठक के फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद ही वह पुरस्कार लौटाने या न लौटाने का फैसला करेंगे।

मौका मिलना चाहिए
विक्रम सेठ को उनके उपन्यास ‘द गोल्डन गेट’ के लिए 1988 में साहित्य अकादमी का पुरस्कार दिया गया था। गौरतलब है बढ़ती असहिष्णुता की घटनाओं के विरोध में नयनतारा सहगल, उदय प्रकाश, अशोक वाजपेयी और गणेश देवी समेत कई लेखकों ने पुरस्कार लौटाने के मद्देनजर अकादमी की आम परिषद ने 23 अक्टूबर को अपनी बैठक बुलाई है।

सेठ ने कहा कि वह पुरस्कारों को लौटाने वाले लेखकों के साहसिक विरोध प्रदर्शन की सराहना करते हैं, लेकिन अकादमी को संशोधन का मौका मिलना चाहिए।

34 ने लौटाए अवॉर्ड
अनिता ने कहा, ‘मैं मौजूदा दौर के उस भारत को नहीं जानती, जहां ‘हिंदुत्व’ के बैनर तले भय और कट्टरता से लेखकों, विद्वानों, धर्मनिरपेक्ष और तर्कसंगत सोच में विश्वास करने वाले सभी लोगों की आवाज दबाई जाती है।’

इससे पहले कन्नड़ लेखक एम. एम. कलबुर्गी की हत्या और दादरी हत्याकांड समेत दूसरे मुद्दों पर पिछले कुछ हफ्तों में कम से कम 34 लेखकों ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिए।

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Navbharat Times