अंदर की बात

उस जमाने की बात है। सेबी ने डीएलएफ पर तीन वर्ष के लिए प्रतिबंध लगाया था। अब कहां डीएलएफ और कहां सेबी? खैर, डीएलएफ ने इस फैसले के खिलाफ अपील की। एसएटी (सिक्योरिटीज एंड अपीलेट ट्रिब्यूनल) के एक सदस्य अधिकारी को दिल्ली से कहा गया कि आपको इस मामले में डीएलएफ की मदद करनी है। इतना ही नहीं, अपने दोनों साथी सदस्यों को भी समझा दें कि उन्हें क्या करना है। उस अधिकारी ने साथी सदस्यों से तो कुछ नहीं कहा, लेकिन प्रतिबंध की अवधि तीन वर्ष से घटाकर छह महीने कर दी। और वो छह महीने भी ऐसे थे कि ऑर्डर पर हस्ताक्षर होने के 8 दिन बाद ही पूरे हो गए। पता है बाकी साथी सदस्यों ने क्या किया? उन्होंने सेबी को खरी-खोटी सुनाते हुए डीएलएफ पर लगाया गया प्रतिबंध ही खारिज कर दिया।    14 अप्रैल का रण  14 अप्रैल को घमासान मचना है। डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125 वीं जयंती है और सारी पार्टियां उसमें पूरी ताकत झोंकेंगी। इसी दिन राम जेठमलानी कालेधन पर प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। जेठमलानी ने एक पुस्तक भी लिखी है, जिसका लोकार्पण प्रधान न्यायाधीश 11 अप्रैल को करेंगे।   मंत्री का ही नाम नहीं  लोकसभा…

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