WWI: ब्रिटेन ने भारतीय बच्चों को किया था इस्तेमाल

लंदन

विश्वयुद्ध में भारतीय सैनिकों की भूमिका पर प्रकाशित एक नई किताब में दावा किया गया है कि प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन ने पश्चिमी मोर्चे पर जर्मनों से टक्कर लेने के लिए 10 साल तक के भारतीय बच्चों का इस्तेमाल किया था।

‘फॉर किंग ऐंड अनदर कंट्री: इंडियन सोल्जर्स ऑन द वेस्टर्न फ्रंट 1914-18’ में बताया गया है कि बच्चों और किशोरों को ब्रिटिश साम्राज्य के विभिन्न कोनों से फ्रांस ले जाया गया था। उनकी भूमिका समर्थन प्रदान करने की थी, लेकिन वे मोर्चे के इतने करीब थे कि उनमें से अनेक घायल हो गए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

लेखिका व इतिहासकार शरबानी बसु का यह विवरण राष्ट्रीय अभिलेखागार और ब्रिटिश लाइब्रेरी में रखे सरकारी दस्तावेजों पर आधारित है। संडे टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ भारतीय बच्चों ने घुड़सवार रेजिमेंटों को समर्थन प्रदान किया था। उनमें 10 साल का एक धौंकनी चलाने वाला और दो साईस शामिल हैं। दोनों साईस 12 साल के थे।

सीधे युद्धक अभियान से जुड़े सबसे कम उम्र के किशोरों में एक बहादुर नन्हा गोरखा शामिल था, जिसका नाम पिम था। 16 साल के इस किशोर को महारानी मेरी ने उस वक्त शौर्य पुरस्कार दिया था जब वह ब्रिटन में अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ कर रहा था।

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