Tag: रिव्यू

फिल्म रिव्यू: साधारण फैंटेसी ‘ए फ्लाइंग जट्ट’ (2 स्‍टार)

फिल्म ने सिख धर्म की आड़ में मनोरंजन परोसने की कोशिश की है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि कहीं हम धर्म के सहारे अंधविश्वास को बढ़ावा तो नहीं
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फिल्म रिव्यू: ‘हैप्पी भाग जाएगी’ सहज और मजेदार (3 स्‍टार)

हैप्पी अमृतसर में पली तेज-तर्रार लड़की है। उसे आपने परिवार के परिचित लड़के गुड्डूू से प्यार हो जाता है। गुड्डू साफ दिल का लड़का है। ट़ुनटुना बजाता है
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फिल्म रिव्यू: द लेजेंड ऑफ माइकल मिश्रा, नाम बड़े पर दर्शन छोटे-खोटे

फिल्म पटना में सेट है। कहानी का नायक माइकल मिश्रा है। वह बचपन में दर्जी था, पर एक दबंग का गला उससे चूक से दब जाता है। दबंग
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फिल्म रिव्यू- कथा और व्यथा ‘बुधिया: बॉर्न टू रन'(4 स्‍टार)

‘बुधिया…’ उड़ीसा के पांच साल के बच्चे की कहानी है। वह जन्मजात धावक है। बचपन में जूडो कोच बिरंची की पारखी नजर उसे भांप लेती है। Jagran Hindi
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फिल्म रिव्यू- ‘फीवर’, एकरूप किरदारों की उलझन (2 स्‍टार)

राजीव खंडेलवाल के पास ऐसी फिल्में आती हैं या वे स्वयं ऐसी उलझी पटकथा और किरदारों की फिल्में चुनते हैं। कहीं न कहीं समीकरण गड़बड़ हो जाता है।
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फिल्म रिव्यू: ‘ढिशुम’ मसाला मनोरंजन की अतिरंजना (3.5 स्‍टार)

रोहित धवन ने बड़ी होशियारी से जॉन और वरुण की ब्रांड इमेज का इस्तेमाल करते हुए आसानी से यकीन न की जाने वाली कहानी सरलता से कह दी
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फिल्म रिव्यू- किस की जवाबदेही ‘मदारी’ (3.5 स्‍टार)

हिंदी में सिस्टम पर सवाल करने वाली फिल्में बनती रही हैं। कई बार अपने निदान और समाधान में वे अराजक हो जाती हैं। ‘मदारी’ इस मायने में अलग
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फिल्म रिव्यू: अ स्कैंडल- एवरीवन हैज वन (2 स्‍टार)

कहानी नैनीताल में केंद्रित है। कोया व विभु अपने दोस्तों प्रबल व अस्मि के साथ अपने मौसा मानव के यहां आती है। मानव की नौ साल की बेटी
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फिल्म रिव्यू- ‘दो लफ्जों की कहानी’, बासी और घिसी-पिटी (1 स्‍टार)

‘दो लफ्जों की कहानी’ घिसी-पिटी पटकथा पर पसरी फिल्म है। फिल्म की कहानी छह महीने पहले से शुरू होकर छह महीने बाद तक चलती है। इस एक साल
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फिल्म रिव्यू : ‘अजहर’, महज रसोईघर की राजनीति (2.5 स्‍टार)

कुछ को छोड़ सभी कलाकारों ने अपना काम बड़ी ढिलाई से किया है। नतीजतन अजहर जैसा गूढ किरदार सिर्फ प्या़र के आमोद-प्रमोद और घर व टीम की रसोई-ड्रेसिंग
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फिल्म रिव्यू: ‘वन नाइट स्‍टैंड’ यानि क्षणिक सुख अंतिम सच नहीं (2.5 स्टार )

हिंदी सिने इतिहास में ऐसा कम हुआ है, जब मर्द की बेवफाई को औरत की नजर से पेश किया गया हो। इस फिल्म की निर्देशक जैस्मिन मोजेज डिसूजा
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