Tag: रिव्यू

फिल्म रिव्यू : उलझनें, प्‍यार व दोस्‍ती की ‘ऐ दिल है मुश्किल’ (3 स्‍टार)

रणबीर कपूर और ऐश्‍वर्या राय बच्चन के बीच की केमिस्ट्री तमाम प्रचार के बावजूद हॉट नहीं लगती। रणबीर कपूर और अनुष्का शर्मा के बीच की केमिस्ट्री और अंडरस्टैंरडिंग
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फिल्म रिव्यू: गालियां और गलियां, ‘सात उचक्के’ (2.5 स्‍टार)

‘सात उचक्के’ में पुरानी दिल्ली की गलियां और गालियां हैं। गालियों की बहुतायत से कई बार आशंका होती है कि कहीं लेखक-निर्देशक स्थानीयता के लोभ में असंयमित तो
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फिल्म रिव्यू- मराठी फ्लेवर ‘बैंजो’ (3 स्‍टार)

बैंजो निम्न मध्यवर्गीय वर्ग के युवकों के बीच पॉपुलर सस्ता म्यूजिकल इंस्ट्रूिमेंट है। महाराष्ट्र के साथ यह देश के दूसरे प्रांतों में भी लोकप्रिय है। मुंबई में इसकी
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फिल्म रिव्यू- अनगिन औरतों में से तीन, ‘पार्च्‍ड’ (3.5 स्‍टार)

‘पार्च्ड’ के लिए हिंदी शब्द सूखा और झुलसा हो सकता है। राजस्थान के एक गांव की तीन औरतों की सूखी और झुलसी जिंदगी की यह कहानी उनके आंतरिक
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फिल्म रिव्यू- बेतुकी कोशिश ‘वाह ताज’ (1 स्‍टार)

सही मुद्दे पर व्यंग्यात्मक फिल्म बनाने की कोशिश में लेखक-निर्देशक असफल रह जाते हैं। दृश्यों से संयोजन और चित्रण में बारीकी नहीं है। यूं लगता है कि सीमित
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फिल्म रिव्यू: साधारण फैंटेसी ‘ए फ्लाइंग जट्ट’ (2 स्‍टार)

फिल्म ने सिख धर्म की आड़ में मनोरंजन परोसने की कोशिश की है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि कहीं हम धर्म के सहारे अंधविश्वास को बढ़ावा तो नहीं
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पठानकोट हमला सुरक्षा इंतजामों में लापरवाही का नतीजा : पोस्ट पठानकोट रिव्यू कमेटी

पोस्ट पठानकोट रिव्यू कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में कमेटी ने लचर सुरक्षा इंतजामों पर गंभीर चिंता जताई है। Patrika : India’s
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फिल्म रिव्यू: साधारण फैंटेसी ‘ए फ्लाइंग जट्ट’ (2 स्‍टार)

फिल्म ने सिख धर्म की आड़ में मनोरंजन परोसने की कोशिश की है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि कहीं हम धर्म के सहारे अंधविश्वास को बढ़ावा तो नहीं
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फिल्म रिव्यू: ‘हैप्पी भाग जाएगी’ सहज और मजेदार (3 स्‍टार)

हैप्पी अमृतसर में पली तेज-तर्रार लड़की है। उसे आपने परिवार के परिचित लड़के गुड्डूू से प्यार हो जाता है। गुड्डू साफ दिल का लड़का है। ट़ुनटुना बजाता है
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फिल्म रिव्यू: द लेजेंड ऑफ माइकल मिश्रा, नाम बड़े पर दर्शन छोटे-खोटे

फिल्म पटना में सेट है। कहानी का नायक माइकल मिश्रा है। वह बचपन में दर्जी था, पर एक दबंग का गला उससे चूक से दब जाता है। दबंग
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फिल्म रिव्यू- कथा और व्यथा ‘बुधिया: बॉर्न टू रन'(4 स्‍टार)

‘बुधिया…’ उड़ीसा के पांच साल के बच्चे की कहानी है। वह जन्मजात धावक है। बचपन में जूडो कोच बिरंची की पारखी नजर उसे भांप लेती है। Jagran Hindi
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फिल्म रिव्यू- ‘फीवर’, एकरूप किरदारों की उलझन (2 स्‍टार)

राजीव खंडेलवाल के पास ऐसी फिल्में आती हैं या वे स्वयं ऐसी उलझी पटकथा और किरदारों की फिल्में चुनते हैं। कहीं न कहीं समीकरण गड़बड़ हो जाता है।
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