SCO में भारत के बढ़ते कद से चीन की टेंशन बढ़ी?

पेइचिंग
इसी हफ्ते होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में पहली बार भारत एक सदस्य के तौर पर हिस्सा लेगा और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भारत के प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी संभालेंगी। लेकिन SCO में भारत की एंट्री चीन के लिए मायूसी लाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के SCO में शामिल होने से उस क्षेत्रिय आर्थिक और सुरक्षा गुट में चीन का दबदबा कम होगा और इससे चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग की चुनौतियां बढ़ेंगी जो SCO में पेइचिंग का प्रतिनिधित्व करने वाले हैं।

शंघाई अकैडमी ऑफ सोशल साइंस के सेंट्रल एशियन मामलों के स्कॉलर ली लिफन ने कहा, ‘भारत के SCO में शामिल होने के बाद चीन की भूमिक निश्चित तौर पर कमजोर होगी क्योंकि भारत चीन के वन बेल्ट वन रोड पहल को पूरी तरह सपॉर्ट नहीं करता है।’ ली ने कहा, ‘भारत SCO के तहत आने वाली पेइचिंग की अन्य पहलों का भी विरोध कर सकता है, अगर वे भारत के हित में न हों।’

SCO की तुलना अमेरिका और यूरोपिय देशों के नॉर्थ अटलांटिक ट्रीट्री ऑर्गनाइजेशन (NATO) से भी की जाती है। इस संगठन का काम सेंट्रल एशिया और अफगानिस्तान के इलाके में शांति बनाए रखना है। यह राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग का संगठन है, जिसकी शुरुआत चीन और रूस के नेतृत्व में यूरेशियाई देशों ने की थी। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर सहयोग बढ़ाना है। इस संगठन में चीन, रूस, कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान थे। अब पहली बार भारत और पाकिस्तान भी इस संगठन के पूर्णकालिक सदस्य बने हैं। गुरुवार से रूस के सोची में SCO समिट प्रस्तावित है।

‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ के मुताबिक, पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर अब भारत के पास चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे सहित अन्य पेइचिंग समर्थित पहलों की आलोचना का अधिकार है। इतना ही नहीं भारत SCO समिट का इस्तेमाल एक सार्वजनिक मंच के तौर पर भी कर सकता है जहां से वह पेइचिंग की गतिविधियों के पीछे छिपी मंशा पर सीधे सवाल कर सकता है। यह बैठक 30 नवंबर से शुरू होगी। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच प्रतिद्वंद्विता और क्षेत्रीय मसलों पर उनके अलग-अलग नजरियों की वजह से अब इस गुट के किसी भी अजेंडा के निष्कर्ष तक पहुंचना भी मुश्किल होगा।

नई दिल्ली में सेंटर फॉर पॉलिसी ऑल्टरनेटिव्स के चेयरमैन मोहन गुरुस्वामी के मुताबिक, अगर चीन भारत के हितों को नुकसान पहुंचाएगा तो वह शांत नहीं रहेगा। गुरुस्वामी के मुताबिक, ‘चीन की मनमानियों पर भारत चुप नहीं बैठेगा। भारत चीन से डरता नहीं है और न ही व्यापार के लिए पूरी तरह चीन पर निर्भर है।’ सिंगापुर के इंस्टिट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज में रिसर्च असोशिएट राजीव रंजन चतुर्वेदी कहते हैं, ‘भारत यह साबित कर के दिखाएगा कि उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत कोई छोटा देश नहीं जिसे किनारे कर दिया जाए। इसलिए उसकी मौजूदगी और हिस्सेदारी को महसूस किया जा सकेगा।’

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।

ASIAN Countries News in Hindi, बाकी एशिया समाचार, Latest ASIAN Countries Hindi News, बाकी एशिया खबरें