SBI देगा रुपये में विदेशी व्यापार की सुविधा
|सरकारी स्वामित्व वाली स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) अब अपने पिछले निर्णय से पलट गया है। SBI अब वैश्विक व्यापार से प्रभावित रूस के साथ रुपये में कारोबार की सुविधा प्रदान करेगा। इससे पहले इसके निजी क्षेत्र के सहकर्मी, HDFC बैंक रूस के साथ कारोबार कर रहा था। इस मामले के जानकार लोगों ने यह जानकारी दी।
यह पाया गया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को बैंक जेनिट पीजेएससी रूस के साथ वोस्ट्रो अकाउंट खोलने की मंजूरी दे दी है। विदेशी कारोबार करने के लिए कुल 17 बैंकों को रूस के साथ वोस्ट्रो अकाउंट खोलने की मंजूरी दी गई है, जिसमें यूको बैंक, इंडियन बैंक, एचडीएफसी बैंक, येस बैंक, इंडस इंड बैंक, आईडीबीआई बैंक, केनरा बैंक और यूनियन बैंक शामिल हैं। इनके अलावा दो और वोस्ट्रो अकाउंट रूस की दो सबसे बड़ी बैंकों के साथ खोले गए हैं। ये बड़ी बैंकें स्बरबैंक और वीटीबी बैंक हैं।
SBI ने बि़जनेस स्टैंडर्ड के ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया। इसके पहले, RBI ने SBI को रुपये में विदेशी व्यापार करने की अनुमति दी थी, लेकिन यह कुछ छोटे देशों, जैसे मॉरीशस और श्रीलंका के लिए ही लागू था। रुपये में विदेशी कारोबार करने के लिए SBI के साथ दो विशेष वोस्ट्रो अकाउंट खोले गए, जो एसबीआई मॉरीशस और पिपल्स बैंक ऑफ श्रीलंका था।
जुलाई में केंद्रीय बैंक द्वारा रुपया व्यापार के लिए विशेष ढांचे की घोषणा के बाद से, बैंकों ने RBI और वित्त मंत्रालय के साथ चिंता जताई थी क्योंकि उन्हें डर था कि वे रूस के साथ द्विपक्षीय भुगतान की सुविधा के दौरान पश्चिमी देशों की तरफ से आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर सकते हैं। बैंकरों ने पहले बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था कि विदेशों में बैंकिंग एसेट रखने वाले और डॉलर में निवेश करने वाले बड़े बैंकों के लिए चिंता विशेष रूप से बड़ी थी।
वित्त मंत्रालय ने इस डर को दूर करने का प्रयास भी किया और बैंकों से कहा कि वह अपनी उन रूसी समकक्ष बैंक के साथ ही समझौता करें, जिन पर वैश्विक प्रतिबंध नहीं लगाया गया हो, और जिन्हें रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार का निपटान करते समय स्विफ्ट प्रणाली से पाबंदी न लगा दी गई हो।
इसके पहले, सार्वजनिक क्षेत्रों की बैंकें, जैसे एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा रूस के साथ अंतरराष्ट्रीय लेनदेन करने के लिए इच्छुक नहीं थे। लेकिन अब, वित्त मंत्रालय की तरफ से व्यापार करने के लिए कहा जा रहा है और आरबीआई भी लेनदेन की सुविधा प्रदान कर रही है। हालांकि इन सभी बैंकों को कहा गया है कि कोई भी लेनदेन सोच-समझकर करें और किसी भी प्रकार का जोखिम प्रतिबंधित बैंकों के साथ लेनदेन करके न उठाएं।
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यह बात तो निश्चित है कि रुपये के अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए तैयार की गई ढांचागत व्यवस्था का उद्देश्य न सिर्फ रूस के साथ व्यापार करना है बल्कि यह घरेलू मुद्रा का दीर्घावधि में अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिए केंद्र की एक रणनीति है। निर्यातकों को उम्मीद है कि रुपये के व्यापार के लागू होने से रूस को निर्यात बढ़ेगा और देश के साथ व्यापार करना भी आसान होगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर के दौरान, भारत ने 28 करोड़ डॉलर के सामान का निर्यात किया, जो एक साल पहले की तुलना में 3.7 फीसदी अधिक है।
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