RBI ने FY2017 के लिए महंगाई का टारगेट बढ़ाया

मुंबई

महंगाई में बढ़ोतरी की आशंका फिर से भारतीय रिजर्व बैंक को परेशान करने लगी है। उसने फिस्कल इयर 2017 अंत तक के लिए इन्फ्लेशन का अनुमान बढ़ाकर 5 पर्सेंट कर दिया है। दिसंबर 2015 के पॉलिसी रिव्यू में इसके 4.8 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया गया था। आरबीआई को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने पर महंगाई बढ़ने के रिस्क नजर आ रहे हैं। मुमकिन है कि इसके चलते कमोडिटी के दाम में बढ़ोतरी होने लगे। उसको सर्विस सेक्टर में महंगाई बढ़ने की भी फिक्र हो रही है।

इन्फ्लेशन जनवरी 2016 के लिए आरबीआई की तरफ से फिक्स 6 पर्सेंट टारगेट तक पहुंच सकता है। मौजूदा ट्रेंड के हिसाब से लगता है कि अगले फिस्कल इयर में महंगाई 5 पर्सेंट के टारगेट तक पहुंच सकती है। लेकिन वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद कुछ रिस्क भी पैदा हो सकते हैं। यह रिस्क तो 2016 में लगातार तीसरे साल भी मॉनसून की बारिश कमजोर रहने पर भी होगा। आरबीआई के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) बेस्ड रिटेल इन्फ्लेशन दिसंबर में हर कैटिगरी में लगातार पांचवें महीने बढ़ा। इसका सबसे बड़ा कारण बेस इफेक्ट रहा। लेकिन उसको लगता है कि फलों और सब्जियों के दाम में आ रही सीजनल गिरावट से नियर टर्म में महंगाई घट सकती है।

फूड और फ्यूल छोड़कर बाकी सीपीआई बेस्ड इन्फ्लेशन लगातार चौथे महीने बढ़ा। पेट्रोल और डीजल छोड़ दें तो महंगाई कमोबेश फ्लैट रही है। आरबीआई के मुताबिक, सामानों के दाम घटे हैं लेकिन सर्विसेज इन्फ्लेशन सितंबर के बाद से बढ़ रहा है। इसके अलावा परिवारों की महंगाई बढ़ने की आशंका बढ़ी हुई है और कॉरपोरेट स्टाफ की कॉस्ट में बढ़ोतरी की रफ्तार तेज हुई है। दूसरी तरफ, ग्रामीण इलाकों में मजदूरी में बढ़ोतरी की रफ्तार घटी है। यह बात आरबीआई ने अपने चौथे बाय-मंथली पॉलिसी स्टेटमेंट में कही।

आरबीआर्इ सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने पर पड़ने वाले असर को लेकर स्पष्ट होने की कोशिश कर रहा है। RBI के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, ‘हम सितंबर से वेतन आयोग की सिफारिशों से जुड़ी जानकारी मिल रही है। हमें यह देखना है कि इसको कैसे लागू किया जाता है और इसको सेंटर और स्टेट गवर्नमेंट के बीच कौन लागू करता है।’ RBI के गर्वनर रघुराम राजन ने मंगलवार को पॉलिसी अनाउंसमेंट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘वेतन आयोग की सिफारिशों के कुछ पहलू पर गौर किया जा रहा है। कुछ को हम देख नहीं सकते और इसके बारे में समय आने पर बताने की स्थिति में होंगे। रेटिंग कंपनियों से मिल रहे पॉजिटिव रिएक्शन को लेकर आरबीआई का रुख बहुत सपोर्टिव है।

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के सॉवरेन रिस्क ग्रुप के असोसिएट मैनेजिंग डायरेक्टर अत्सि शेठ के मुताबिक, ‘आरबीआई के बयान से पता चलता है कि पॉलिसीमेकर्स भी सिर्फ ग्रोथ नहीं बल्कि मैक्रो इकनॉमिक वैरिएबल्स के कॉम्बिनेशन (ग्रोथ, इन्फ्लेशन, फिस्कल और करेंट एकाउंट डेफिसिट) को लेकर बहुत फोकस्ड हैं।’

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