MCD चुनाव: पुरानी दिल्ली में प्रचार का ‘पुराना’ तरीका
|पुरानी दिल्ली के विभिन्न वॉर्डों में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न दलों के प्रत्याशी चुनाव का पुराना तरीका ही अपना रहे हैं। भले पार्टी इनके लिए जनसभाओं का आयोजन कर रही हो, लेकिन प्रत्याशी घर-घर और दुकान-दुकान प्रचार को तरजीह दे रहे हैं। पुरानी दिल्ली के पुराने संबंधों को भुनाने में लगे हुए हैं प्रत्याशी।
चांदनी चौक लोकसभा में 10 विधानसभाएं हैं। इनमें से चांदनी चौक की पांच विधानसभाओं को पुरानी दिल्ली का माना जाता है, लेकिन इन विधानसभाओं के कुछ ऐसे वॉर्ड हैं जो पूरे तौर पर पुरानी दिल्ली का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें से जामा मस्जिद, चांदनी चौक, आनंद पर्बत, सदर बाजार, अजमेरी गेट, बाजार सीताराम, दिल्ली गेट, बल्लीमारान आदि प्रमुख हैं। इन वॉर्डों में मुस्लिम वोटरों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन यहां रहने वाले लोग बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दौर में जातीय समीकरण मंद पड़ जाते हैं और प्रत्याशी सभी जाति और समुदाय के लोगों से सीधा प्रचार करते हैं।
लोग भी ऐसे हैं कि वे प्रत्याशी की जाति या धर्म को देखे बिना उसे वोट देने के लिए हामी भरते रहते हैं। इन वॉर्डों में अधिकतर की खासियत यह है कि वहां चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशी उन्हीं इलाकों के हैं और वे बाहर से लाए हुए नहीं है। इन विभिन्न दलों के प्रत्याशियों में सुलताना, आले मोहम्मद, सीमा ताहीरा, नरेन भीखू राम जैन, पुनर्दीप साहनी, रवि कप्तान, मोहम्मद कज्जाफी, शिव शर्मा, मोहम्मद सादिक, अजय यादव, राकेश कुमार आदि प्रमुख हैं। ये सभी प्रत्याशी पुरानी दिल्ली के ही निवासी हैं। अगर इनमें से एकाध ने घर बदल भी लिया तो इनके रिश्तेदार और मकान अभी भी पुरानी दिल्ली में ही हैं। इन्हीं खासियतों के बलबूते ये नेता इलाके में रिश्तों को भुना रहे हैं और धुआंधार प्रचार कर रहे हैं।
इलाके के पार्षद खुर्रम इकबाल का कहना है कि पुरानी दिल्ली में प्रचार का तरीका नहीं बदला है। सुबह होते ही प्रत्याशी घरों और दुकानों में प्रचार के लिए निकल जाते हैं। इसके अलावा इनके समर्थक भी छोटी टोलियों में निकल जाते हैं। जिनसे ये वोट मांगते हैं, उनमें कोई इनका चाचा होता है तो कोई भाई नजर आता है। इलाके के कांग्रेसी नेता पराग जैन का कहना है कि प्रत्याशी और उनके समर्थक दोपहर को कुछ देर के लिए आराम करते हुए रणनीति बनाते हैं और फिर से मोहल्लों और गलियों में प्रचार के लिए निकल जाते हैं। कुछ इलाकों में तो प्रत्याशियों का ऐसे इस्तकबाल होता है कि जैसे वह उनका रिश्तेदार है।
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