IS व AQIS का हैंडलर एक!

नोएडा : वेस्टर्न यूपी में टेरर नेटवर्क की जड़ें खंगालने में जुटी यूपी एटीएस को एक चौंकाने वाली जानकारी हाथ लगी है। अल कायदा इन इंडियन सब कॉन्टिनेंट (AQIS) के पकड़े गए संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ में एक ऐसे शख्स का नाम सामने आया है, जो पिछले दिनों रुड़की में पकड़े गए इस्लामिक स्टेट (आईएस) के कथित आतंकियों का भी हैंडलर है। हालांकि एजेंसियों का मानना है कि यह नाम कोडवर्ड है। इस एक ही नाम के सामने आने के बाद आतंकियों के आपसी गठजोड़ की भी कहानी सामने आ रही है।
कई संदिग्ध धरे गए
वेस्टर्न यूपी के संभल शहर से आईबी के इनपुट पर यूपी एटीएस और दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने AQIS के इंडिया हेड मुहम्मद आसिफ को बीते 15 दिसंबर को गिरफ्तार करने का दावा किया था। आसिफ के बाद कटक से मौलाना अब्दुल रहमान, संभल से ही जफर मसूद, बेंगलुरु से सैयद अंजार शाह और जमशेदपुर के रहने वाले अब्दुल सामी को मेवात से गिरफ्तार किया गया। इनसे पूछताछ के दौरान जांच एजेंसियों को आतंक से जुड़े कई नामों की जानकारी मिली। इसके बाद आतंक के पूरे नेटवर्क को खंगालने का काम शुरू हुआ।
यूसुफ नाम आया सामने
जांच के दौरान पता चला कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से यूसुफ नाम का एक शख्स इनके संपर्क में था। जांच एजेंसियों को शक है कि यूसुफ नाम का यह शख्स ISIS के लिए ऑनलाइन रिक्रूटमेंट करने वाले संगठन अंसार-उत-तौहिद का मुखिया शफी अरमार है। कनार्टक के भटकल के रहने वाले शफी अरमार से पहले इस संगठन की मार्फत उसका बड़ा भाई अब्दुल कादर सुल्तान अरमार ISIS के लिए यह काम करता था। दोनों भाई पहले इंडियन मुजाहिदीन के मेंबर थे, जो दिल्ली में हुए बटला हाउस एनकाउंटर के बाद पाकिस्तान भाग गए थे। एजेंसियों के मुताबिक, सुल्तान अरमार पिछले साल सीरिया में ISIS के लिए लड़ते हुए मारा जा चुका है। सुल्तान अरमार और शफी अरमार ने पाकिस्तान में ही इंडियन मुजाहिदीन से अलग होकर अंसार-उत-तौहिद संगठन बना लिया था। शुरुआत में इन्होंने अल कायदा के लिए काम किया, लेकिन बाद में ISIS के साथ जुड़ गए।
पाकिस्तान में हुई थी मुलाकात
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, AQIS के पकड़े गए मॉड्यूल से भी यूसुफ नाम के एक शख्स की जानकारी मिली है, जो भारत के खिलाफ आतंकियों को रिक्रूट कर रहा था। कटक से पकड़े गए मौलाना अब्दुल रहमान की पाकिस्तान में यूसुफ से मुलाकात डॉ. सबील नाम के शख्स ने करवाई थी। सबील उस समय सऊदी में रह रहा था और यूसुफ को उसने रहमान से मिलने भेजा था। डॉ. सबील के बारे में एजेंसियों को पता चला है कि 2007 में लंदन में आतंकी हमले के दौरान उसे गिरफ्तार किया गया। हालांकि बाद में वह छूट गया। इस हमले में सबील का भाई कफील मारा गया था। यूसुफ ने रहमान को 14 हजार रुपये देकर एक मोबाइल सिम भी दिया था, जिस पर वह संपर्क करता था। यूसुफ ने उससे कहा था कि जेहाद के लिए अच्छे लड़्के उसके पास भेजा, उन्हें पाकिस्तान या अफगानिस्तान में ट्रेनिंग दिलवाएंगे। इसके बाद रहमान ने कई लड़कों को जेहाद के लिए उकसा करके ट्रेनिंग के लिए भेजा।
कोड हो सकता है यूसुफ नाम
एजेंसियों को शक है कि अरमार बंधु यूसुफ कोड नेम का इस्तेमाल कर आतंकियों को रिक्रूट करते आए हैं। पहले सुल्तान अरमार और अब उसका छोटा भाई शफी अरमार इसी कोड नेम का इस्तेमाल कर रहा है। इनका मकसद किसी एक संगठन के लिए आतंकी भर्ती करने से ज्यादा भारत के खिलाफ जेहादी पैदा करने का रहा है। इसी बीच आईबी ने बांग्लादेश से एक फोन कॉल को इंटरसेप्ट करने के बाद कुछ दिन पहले ही अलर्ट जारी किया है, जिसमें डॉक्टर के दवा भेजने की बात कही गई है। इधर मूल रूप से बेंगलुरु के ही रहने वाले डॉ. सबील के बारे में एजेंसियों के पास कोई ठोस जानकारी नहीं है। लिहाजा इस इंटरसेप्ट के बाद देश के सभी राज्यों की पुलिस को इस बारे में खास निगरानी बरतने को कहा गया है।
नोएडा में हुई थी रेकी
3 जनवरी को नोएडा के एक बड़े मॉल में दो संदिग्धों द्वारा रेकी करने और विडियो बनाने के बाद यूपी एटीएस ने नए सिरे से इन संदिग्ध आतंकियों से मिली जानकारी काम करना शुरू किया। इस बीच, रुड़की में 19 जनवरी को आईबी के इनपुट पर दिल्ली के स्पेशल सेल ने चार संदिग्ध युवक पकड़े, जिनका ISIS से संबंध बताया जा रहा है। सभी हरिद्वार में चल रहे अर्द्धकुंभ मेले और दिल्ली-एनसीआर में हमले की फिराक में थे।

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