‘IS के लिए औरत का मतलब शादी, सेक्स और बच्चे पैदा करना’
|इस्लाम के नाम पर आतंकी संगठन ISIS औरतों पर ऐसे-ऐसे जुल्म कर रहा है, जिसकी कल्पना भी मुश्किल है। पत्रकार सुलोम एंडरसन ने वॉशिंगटन पोस्ट में लिखे अपने लेख में IS की चंगुल से छूटी महिलाओं की रोंगटे खड़े कर देने वाली आपबीती बयान की है। IS के लिए औरत का वजूद सिर्फ शादी करने और बच्चे पैदा करने के लिए है।
एंडरसन ने IS के चंगुल से छूटी यजीदी महिलाओं के हवाले से इस्लाम के नाम पर किए जा रहे घिनौने और शर्मनाक करतूतों को बयान किया है। एक यजीदी महिला बताती है, ‘मेरी बहन 16 साल की है, उन लोगों (IS) ने उसकी 7 लोगों से शादी कर दी। वह अब भी सीरिया में है…मैंने एक पुरुष को एक के बाद एक, 4 महिलाओं से रेप करते देखा है। मैंने उन्हें दुधमुंहे बच्चे को मां की छाती से छीनते हुए देखा है। एक व्यक्ति मुझसे शादी करेगा, फिर उसके दोस्तों में से एक मुझे देखेगा और पंसद करेगा, इसलिए वह भी मुझसे शादी करेगा। मुझे 5 लोगों को बेचा गया।’
एंडरसन ने इस महिला को फरीदा नाम दिया है। फरीदा के पांच भाइयों को IS ने बेरहमी से मार डाला। 25 साल की लैला की कहानी भी फरीदा से मिलती-जुलती है।
23 साल की एक और यजीदी महिला बताती है कि IS के कब्जे वाले इलाकों में महिलाओं की स्थिति नरक से भी बदतर है। सिंजर की रहने वाली यह महिला 2 महीने पहले ही IS के चंगुल से छूटी है। वह बताती है कि IS सुन्नी महिलाओं की भी जबरदस्ती शादी करते हैं। उनके लिए यजीदी लड़कियां तो जानवरों से भी बदतर हैं। वह बताती है कि IS यजीदी लड़कियों को कई पुरुषों के साथ संबंध बनाने को मजबूर करता है। लड़कियों को 10 डॉलर या सिगरेट के एक कार्टन के लिए बेच दिया जाता है। कभी-कभी उनके साथ ऐसे-ऐसे अत्याचार होते हैं, जिन्हें लिखा नहीं जा सकता।
सुलोम एंडरसन ने एक IS आतंकी से अपने इंटरव्यू का भी जिक्र किया है। उस आतंकी को पेशमर्गा लड़ाकों ने बंधक बनाया था। एंडरसन IS आतंकी से यह जानने की कोशिश करती हैं कि वे महिलाओं खासकर यजीदी महिलाओं से कैसा व्यवहार करते हैं। आतंकी ने बताया कि महिलाएं सिर्फ शादी करने और बच्चे पैदा करने के लिए होती हैं।
वह बताता है कि उन्हें यजीदी महिलाओं के साथ कुछ भी करने की छूट है। कम उम्र की लड़कियों पर IS के बड़े आतंकियों का हक होता है। वह कहता है, ‘मेरे पास एक लड़की थी लेकिन हमारे अस्पताल के डॉक्टर को वह पसंद आ गई। वह रैंक में मुझसे बड़ा था, इसलिए उसने उस लड़की को ले लिया। यजीदी महिलाओं को हाई रैंक वाले IS मेंबर्स को दिया जाता है। कम उम्र की लड़कियों का महत्व ज्यादा होता है…ये पत्नियों से अलग होती हैं, क्योंकि ये गुलाम हैं। हम उनके साथ जो चाहे कर सकते हैं।’
IS आतंकी से जब एंडरसन ने पूछा कि अगर उन महिलाओं की जगह उसकी मां होती और उसके कई दोस्तों के साथ उसकी शादी होती तो? इस सवाल के जवाब में आतंकी कहता है, ‘अगर वह मेरी मां भी होती तो मुझे कोई फिक्र नहीं क्योंकि यह जिहाद के लिए है। हम इस्लामिक लॉ के मुताबिक महिलाओं से बर्ताव करते हैं न कि ह्यूमन लॉ के मुताबिक। महिलाएं दोयम दर्जे की इंसान हैं।’
संयुक्त राष्ट्र की जनवरी की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 3,500 यजीदी महिलाएं और बच्चे IS के कब्जे में हैं। इनको छुड़ाने के लिए कई एनजीओ और संस्थाएं प्रयास कर रही हैं।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।