FOB की सेंचुरी लगाना चाहती है AK सरकार!
|सड़क दुर्घटनाओं में पैदल यात्रियों को बचाने के लिए दिल्ली की आप सरकार ने राजधानी के विभिन्न इलाकों में इफरात में फुटओवर ब्रिज बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए संबंधित विभाग के अफसरों को जरूरत के हिसाब से ब्रिज के लिए जगह तलाशने को कह दिया गया है। सरकार चाहती है कि पूरी दिल्ली में कम से कम 100 और नए फुटओवर ब्रिज बनाएं जाएं। अधिकतर में लिफ्ट का प्रावधान किया जाएगा।
दिल्ली सरकार की एक जानकारी के अनुसार राजधानी में हर साल औसतन 1800 लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाते हैं। इनमें 45 प्रतिशत लोग पैदल यात्री होते हैं। दिल्ली सरकार का मानना है कि इन लोगों को ही बचाने के लिए दिल्ली में फुटओवर ब्रिज बनाए जाने जरूरी हैं। बताते हैं कि इन पुलों की सबसे अधिक जरूरत रिंग रोड, आउटर रिंग रोड के अलावा बड़ी सड़कों पर बहुत अधिक है। कई इलाकों में तो पैदल यात्रियों को सड़क पार करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। सरकार का मानना है कि फुटओवर ब्रिज बनने से इसका दूसरा लाभ यह भी होगा कि व्यस्त सड़कों पर ट्रैफिक स्मूद भी चलेगा।
इस मसले को लेकर पिछले दिनों पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन ने विभाग के आला अफसरों के साथ एक बैठक की थी। बैठक में सड़कों को सुधारने के साथ-साथ फुटओवर ब्रिज बनाने का भी निर्णय लिया गया। अफसरों ने माना कि राजधानी के कई इलाकों में फुटओवर ब्रिज बनाने की जरूरत है, इनमें वे बड़ी सड़कें भी शामिल हैं जो रिहायशी आबादी के बगल से गुजरती हैं। अफसरों ने माना कि कम से कम 100 फुटओवर ब्रिज बनाए जाने की जरूरत है, क्योंकि राजधानी में वर्ष 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान फुटओवर ब्रिज बनाए गए थे, उसके बाद बहुत कम ब्रिज बने हैं, जबकि आबादी का घनत्व बढ़ा है और सड़कों पर ट्रैफिक की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
इस बैठक में पीडब्ल्यूडी मंत्री ने अफसरों को आदेश दिए कि वे रिसर्च करें कि राजधानी के किन इलाकों में फुटओवर ब्रिज बनाए जाने की जरूरत है। इस बाबत वे डिटेल रिपोर्ट तैयार करें, जिसके बाद ब्रिज बनाने की कवायद शुरू की जाए। मंत्री ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार के पास बजट की कोई कमी नहीं है। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आश्यकता के अनुरूप इन ब्रिजों में लिफ्ट का भी प्रावधान किया जाए, ताकि सीनियर सिटिजन्स को कोई परेशानी न हो। विभाग के एक आला अधिकारी के अनुसार इस बाबत रिसर्च चल रही है। उम्मीद है कि तीन माह के भीतर रिपोर्ट तैयार कर सरकार तक पहुंचा दी जाएगी, जिसके बाद विभिन्न इलाकों में ब्रिज बनाने का काम शुरू हो जाएगा।
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