Film Review: डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी
|डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी का नाम आते ही याद आती है ‘खोसला का घोंसला’. याद आती है ‘ओय लकी लकी ओय’, ‘लव सेक्स और धोखा’ और ‘शंघाई’ जैसी फिल्में. ‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी’ के जरिए उन्होंने लेखक शरदेन्दु बंद्योपाध्याय की कहानियों के किरदार ‘ब्योमकेश बख्शी’ को जीवंत करने की कोशिश की है.