CNG घोटाले का मामला केंद्र के टेस्टिंग सेंटर से जुड़ा: AAP

विशेष संवाददाता, दिल्ली सचिवालय
ऑड-ईवन स्कीम की कामयाबी को लेकर संडे को छत्रसाल स्टेडियम में हुए कार्यक्रम में एक महिला ने सीएनजी घोटाले का दावा करते हुए कुछ डॉक्युमेंट्स फेंके थे। दिल्ली सरकार ने उन डॉक्युमेंट्स की जांच करवाने के बाद खुलासा किया है कि जिस कथित घोटाले की बात वह महिला कर रही थी, उसका दिल्ली सरकार से कोई लेना-देना ही नहीं है। ट्रांसपोर्ट मंत्री गोपाल राय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यह मामला केंद्र सरकार के सीएनजी सेंटरों से जुड़ा हुआ है। महिला के पास जो डॉक्युमेंट्स थे, वे मुकंदपुर और मुडंका के सीएनजी सेंटरों से बने हुए थे और वे सेंटर केंद्र सरकार के कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मंत्रीी के तहत आते हैं।

ट्रांसपोर्ट मंत्री ने बताया कि सीएनजी घोटाले को लेकर अलग-अलग बातें कही जा रही है। सीएनजी फिटनेस घोटाले को लेकर तो दिल्ली सरकार ने ही जांच आयोग बनाया है। वहीं स्टिकर मामले में सरकार ने सख्त कार्रवाई की थी। लेकिन महिला ने जो मामला उठाया है, वह केंद्र के इन सेंटरों से जारी किए गए सीएनजी सर्टिफिकेट से जुड़ा हुआ है। सीएनजी की गाड़ियों में जो सिलिंडर लगते हैं, उनकी जांच के बाद सर्टिफिकेट दिया जाता है और कंपलाइंस प्लेट दी जाती है। उसके आधार पर आईजीएल के स्टेशनों से सीएनजी मिलती है।

सर्टिफिकेट देने का काम केंद्र सरकार की एजेंसी पेट्रोलियम ऐंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (पेसो) के पास है, जिसके देशभर में 96 सेंटर है। दिल्ली में भी कई सेंटर हैं। हंगामा करने वाली महिला ने बाइक के नंबर पर सर्टिफिकेट के जो कागज फेंके थे, वे पेसो के मुकंदपुर व मुंडका सेंटरों से बने हैं। खास बात यह है कि ये सर्टिफिकेट 9 सितंबर के बने हुए हैं, जब ऑड-ईवन लागू भी नहीं हुआ था।

ट्रांसपोर्ट मंत्री का कहना है कि 9 सितंबर को तो कार फ्री डे का अभियान भी शुरू नहीं हुआ था। ऐसे में दिल्ली सरकार पर कौन से घोटाले के आरोप लगाए जा रहे हैं और वह इस मसले पर केंद्र सरकार को लेटर लिखेंगे कि उनके सेंटरों पर हुए घोटाले की जांच करवाई जाए।

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