AK के सारे अधिकारी राजनिवास के पाले में
|प्रचंड बहुमत से देश की राजधानी में शासन चला रही आम आदमी पार्टी सरकार आजकल खासी बेबस है। हाई कोर्ट के एक आदेश ने उसकी राह खासी मुश्किल कर दी है। सरकार के जो अधिकारी कल तक सीएम और सभी मंत्रियों के बताए ‘रास्ते’ पर चल रहे थे, अब वे हर सरकारी काम और फाइल को सीधे राजनिवास भेज रहे हैं। अचानक ही पाला बदल लिया है दिल्ली सरकार के अफसरों ने।
सौ फाइलें और हैं पाइप लाइन में
अधिकारों की लड़ाई को लेकर सरकार और राजनिवास में चल रहा आरोप-प्रत्यारोप का दौर अब तेज हो चला है। इसके बावजूद दिल्ली सरकार के अधिकारी आजकल गंभीर काम में व्यस्त हैं। वे उन फाइलों को चुन-चुनकर राजनिवास पहुंचा रहे हैं, जिसमें उन्हें लगता है कि इस फाइल को ओके करने में केजरीवाल सरकार ने उपराज्यपाल के अधिकारों का हनन किया है। आश्चर्यजनक रूप से ऐसी 400 फाइलें राजनिवास पहुंच चुकी हैं और माना जा रहा है कि करीब 100 फाइलें और पाइप लाइन में हैं। फाइलों की इन रवानगी का हाल यह है कि सरकार के छोटे स्तर के काम भी मंत्रियों की अनुशंसा के बावजूद उपराज्यपाल नजीब जंग के पास भेजे जा रहे हैं।
अचानक बदल गए सारे समीकरण
असल में हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक आदेश पारित कर उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रमुख घोषित किया है। इस आदेश के तुरंत बाद उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार को आदेश जारी कर दिया कि वह उन आदेशों आदि की फाइल भेजे जिनमें राजनिवास के अधिकारों की अवहेलना की गई है। हाल यह है कि सरकार के पिछले डेढ़ साल के शासन में उसके किए गए अधिकतर कामों की फाइलें अफसरों ने राजनिवास पहुंचानी शुरू कर दी हैं। बताते हैं कि इन फाइलों को भेजने में वे अधिकारी भी हैं, जो सरकार के विश्वासपात्र हैं। सूत्र बताते हैं कि हाल ही में इस मामले में एक मंत्री ने अफसर को कहा कि यह तो छोटे स्तर का काम है, इसमें राजनिवास का क्या काम। लेकिन अफसर ने यह कहकर बेबसी दिखा दी, इस फाइल को भी अब राजनिवास भेजना होगा।
घबरा गए हैं सरकार के अधिकारी
असल में अफसरों को यह पता है कि उनकी सीआर (कॉन्फिडेंशल रिपोर्ट) लिखने की पावर दिल्ली सरकार के पास न होकर राजनिवास के पास है। यह सीआर उनका भविष्य तय करती है। वे यह भी जान चुके हैं कि अफसरों के जो ट्रांसफर दिल्ली सरकार ने किए हैं, वे भी निरस्त हो सकते हैं। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली सरकार ने अपने डेढ़ साल के कार्यकाल में करीब 300 से अधिक आईएएस और दानिक्स अफसरों के तबादले किए है। छोटे स्तर के अफसरों की संख्या तो हजारों में हैं। इसलिए वे मान चले हैं कि राजनिवास से जुड़कर ही उनका भला हो सकता है। फिलहाल दिल्ली सरकार बेबस है और वह समझ नहीं पा रही है कि शासन कैसे चलाया जाए।
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