हेमा कमेटी रिपोर्ट पर बोलीं तनुश्री दत्ता:ऐसी रिपोर्ट बॉलीवुड पर भी बने, नाना पाटेकर जैसे लोग किसी का मर्डर तक करवा सकते हैं

हाल ही में हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में हो रहे सेक्सुअल हैरेसमेंट और कास्टिंग काउच के मामलों का खुलासा किया है। इसी मुद्दे पर दैनिक भास्कर से बातचीत में, एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने अपनी आपबीती शेयर की। उन्होंने नाना पाटेकर की जान से मारने की कोशिशों और साउथ फिल्म इंडस्ट्री की मेल-डॉमिनेटेड सोच पर सवाल उठाए। बता दें, 2018 में तनुश्री ने #MeToo मूवमेंट के तहत नाना पाटेकर, कोरियोग्राफर गणेश आचार्य और डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री पर सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप लगाए थे। ‘बॉलीवुड पर भी बने ऐसी रिपोर्ट’ शुरुआत में मुझे समझ नहीं आया कि ये रिपोर्ट क्या है। सच कहूं तो मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं थी। मेरी पहली रिएक्शन थोड़ी कन्फ्यूज करने वाली थी। मैंने सोचा कि ये रिपोर्ट भी विशाखा कमेटी जैसी होगी। विशाखा कमेटी के बारे में बहुत सुना था, लेकिन उसके नियमों का पालन नहीं हुआ। कुछ समय बाद उसका शोर भी कम हो गया। तो मुझे लगा कि ये रिपोर्ट भी वैसी ही होगी। मैं समझ नहीं पाई कि ये रिपोर्ट फिल्म इंडस्ट्री के कामकाज के तरीकों के बारे में है। अब मुझे समझ आ गया है कि इस रिपोर्ट में इंडस्ट्री की असली स्थिति के बारे में बताया गया है। ये एक अच्छी बात है। लेकिन मुझे अब भी समझ नहीं आता कि इसे बनने में छह-सात साल क्यों लगे? हालात तो रोज बदलते रहते हैं। ऐसी रिपोर्ट्स जल्दी आनी चाहिए। फिर भी, मैं खुश हूं कि ये रिपोर्ट बनी है। मैं चाहती हूं कि बॉलीवुड पर भी एक रिपोर्ट बने। जब लोगों को सही जानकारी मिलती है, तो वे इंडस्ट्री में आने से पहले खुद को तैयार कर सकते हैं। जब सरकार और लोग चीज़ों के बारे में जान जाते हैं, तो सही कार्रवाई की जा सकती है। इस नजरिए से, मैं इस रिपोर्ट की तारीफ करती हूं। इसे समझने में मुझे दो-तीन दिन लगे, लेकिन अगर इसमें सबकुछ ठीक से बताया गया है और ये अच्छे से रिसर्च करके बनाई गई है, तो सरकार को इस पर एक्शन लेना चाहिए। ‘साउथ मेल-डॉमिनेटेड इंडस्ट्री है’ साउथ फिल्म इंडस्ट्री एक मेल-डॉमिनेटेड इंडस्ट्री है। मैंने उनकी फिल्मों के कुछ सीन देखे और मैं हैरान रह गई। एक सीन में गाना चल रहा था और हीरो लड़की को चुंटी काट रहा था। मैंने सोचा, ये फिल्मों में दिखा रहे हैं? बॉलीवुड में अब ऐसे छेड़खानी और बलात्कार के सीन कम दिखाए जाते हैं। लेकिन साउथ की फिल्मों में अभी भी ऐसे सीन होते हैं। ये हीरो-हीरोइन पैन इंडिया स्टार बन रहे हैं, इन्हें ऐसे सीन करने से मना करना चाहिए। अगर इतने बड़े हीरो मना कर देंगे, तो वो सीन ही नहीं बनेगा। साउथ में, भले ही उनके कंटेंट को कितनी भी पॉपुलैरिटी मिल रही हो, लेकिन उनकी सोच अभी भी पुरानी ही है। वहां के आर्टिस्ट को ऐसे सीन नहीं करने चाहिए। अगर वे मना कर दें, तो ऐसे सीन बनने बंद हो जाएंगे। मुझे उम्मीद है कि ये इंटरव्यू देखने के बाद कुछ साउथ के लोग इस पर सोचेंगे। ‘नाना पाटेकर जैसे लोग बहुत वायलेंट होते हैं’ नाना पाटेकर जैसे लोग और कोलकाता की पीड़िता के साथ जो हुआ, उनकी सोच बहुत हिंसक होती है। ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। नाना पाटेकर जैसे लोग किसी का मर्डर तक करवा सकते हैं। उन्होंने मुझे बहुत परेशान किया। इस मूवमेंट के बाद मेरे खिलाफ कई तरह के टॉर्चर किए गए। मुझे डराने के लिए गुंडे भेजे गए, मेरा एक्सीडेंट करवाने की कोशिश की गई और मेरे घर में नौकरानी के जरिए खाने-पीने की चीजों में कुछ मिलाने की कोशिश की गई, जिससे मेरी तबीयत खराब हो गई। मेरे ईमेल्स हैक किए गए और मेरे बारे में झूठी अफवाहें फैलाई गईं। इस सबका मकसद मुझे डराना और तोड़ना था, ताकि मैं अपनी आवाज बंद कर दूं। लेकिन मैंने हार नहीं मानी और आगे भी नहीं मानूंगी। यह लड़ाई जारी रहेगी, क्योंकि मैं जानती हूं कि ये लोग मुझे चुप कराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मैं अपनी सच्चाई के लिए हमेशा खड़ी रहूंगी। ‘कठोर कानून बनना चाहिए’ हां, #Metoo मूवमेंट के बाद मैंने थोड़े बदलाव जरूर देखे हैं। पहले जो छोटे-मोटे शिकार करने वाले थे, जो लड़कियों को परेशान करते थे, वे अब ज्यादा सतर्क हो गए हैं। अब उन्हें डर है कि कहीं लड़की रिकॉर्ड न कर रही हो, कहीं मामला पुलिस तक न पहुंच जाए। लेकिन जो बड़े शिकार करने वाले हैं, जिनकी ताकत ज्यादा है, उनका अब भी अहंकार बना हुआ है। उनके लिए कानून को सख्त होना पड़ेगा और उन्हें सजा मिलनी चाहिए। जो लोग ऐसे अपराध करते हैं, उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी होती है। उन्हें अपने अंजाम का कोई डर नहीं होता। इसलिए उनके लिए कठोर कानून बनना चाहिए।

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