मूवी रिव्यू- स्त्री-2:राजकुमार, श्रद्धा और पंकज त्रिपाठी की तिकड़ी फिर चमकी, कहानी दिलचस्प लेकिन अंत बेहतर नहीं; कैमियो चौंका सकता है

राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर और पंकज त्रिपाठी स्टारर फिल्म स्त्री-2 रिलीज हो गई है। हॉरर कॉमेडी जॉनर वाली इस फिल्म की लेंथ 2 घंटे 29 मिनट है। दैनिक भास्कर ने फिल्म को 5 में से 3.5 स्टार रेटिंग दी है। फिल्म की कहानी क्या है? कहानी की शुरुआत उसी चंदेरी गांव से होती है, जहां से पहला पार्ट खत्म हुआ था। इस बार गांव में एक-एक करके लड़कियां गायब होती हैं। एक कटे सिर वाला प्रेत एक-एक करके गांव की लड़कियों को अपने चपेटे में लेता है। इस बार उन्हें बचाने का जिम्मा स्त्री (श्रद्धा कपूर) लेती है, इसके लिए वो विक्की (राजकुमार राव) को अपना साझेदार बनाती है। विक्की की सहायता करते हैं उसके दोस्त बिट्टू (अपारशक्ति खुराना) जना (अभिषेक बनर्जी) और रुद्र (पंकज त्रिपाठी)। अब क्या चारों दोस्त मिलकर सिरकटा को मात देते पाते हैं कि नहीं, कहानी अंत तक इसी पर बेस्ड है। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर और पंकज त्रिपाठी की तिकड़ी ने अपनी एक्टिंग से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया है। खास तौर से राजकुमार राव और पंकज त्रिपाठी की कॉमिक टाइम लाजवाब लगी है। अपारशक्ति खुराना और अभिषेक बनर्जी ने भी दर्शकों को खूब गुदगुदाया है। फिल्म में अक्षय कुमार का सरप्राइज कैमियो है, जिसे देखकर आप हतप्रभ हो सकते हैं। उन्हें अचानक स्क्रीन पर देखना शानदार एक्सपीरियंस था। वरुण धवन भी ‘भेड़िया’ बनकर कुछ सीन्स में सिरकटा से लड़ते दिखाई दिए। तमन्ना भाटिया का भी कम लेकिन प्रभावशाली रोल है। डायरेक्शन कैसा है? डायरेक्टर अमर कौशिक ने फिल्म को एंटरटेनिंग बनाने में पूरी कसर लगा दी है। फिल्म में शुरू से लेकर अंत तक कॉमेडी और हॉरर का तगड़ा डोज है। डायलॉग्स भी काफी फनी लगते हैं। विजुअल और साउंड इफैक्ट्स का तो कोई जवाब ही नहीं है। फर्स्ट हाफ को इतना शानदार बना दिया है कि उसके आगे सेकेंड हाफ एवरेज लगता है। जिस हिसाब से स्टोरी शुरू से अंत तक बढ़ती है, उस हिसाब से क्लाइमैक्स थोड़ा कमजोर लगा है। दिनेश विजान और मैडॉक फिल्म्स ने अपना एक हॉरर यूनिवर्स शुरू कर दिया है। इस फिल्म में उसकी झलक देखने को मिल गई है। मैडॉक की पिछली फिल्में मुंज्या और भेडिया का तो इसमें जिक्र है ही, आगे चलकर अक्षय कुमार भी इस यूनिवर्स में शामिल होंगे। म्यूजिक कैसा है? म्यूजिक भी फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष में से एक है। गाने ऑलरेडी चार्टबस्टर बन चुके हैं, लेकिन थिएटर में सुनने में और अच्छे लगते हैं। फिल्म का म्यूजिक बेहतर है लेकिन BGM (बैकग्राउंड म्यूजिक) थोड़ा और बेहतर हो सकता था। BGM के नाम पर शोरगुल ज्यादा हो गया है। फाइनल वर्डिक्ट, देखें या नहीं? एक दो कमियों को छोड़ दें, तो फिल्म ओवरऑल अच्छी बनी है। फिल्म में कॉमेडी, ह्यूमर, म्यूजिक और हॉरर सीन्स सब अपनी जगह पर सही हैं। छुट्टियों वाले इस लंबे वीकेंड के लिए यह फिल्म अच्छी ट्रीट साबित हो सकती है। फैमिली के साथ भी आराम से देख सकते हैं। मेरे हिसाब से यह फिल्म वन टाइम वॉच जरूर है।

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