शाहरुख के कहने पर फिल्म सिटी में बनाया रेगिस्तान:300 ट्रक में आई ₹2 करोड़ की रेत; गदर-2 में टूटी बस से बना दिया टैंक

प्रोडक्शन डिजाइनर पूरी फिल्म का लुक और मूड डिजाइन करता है। फिल्म का सेट कैसा होगा। एक्टर्स कपड़े क्या पहनेंगे। स्क्रीनप्ले के हिसाब से सीन की थीम क्या होगी। यह सारी चीजें प्रोडक्शन डिजाइनर डिसाइड करता है। आर्ट डायरेक्टर फिल्म के सेट का निर्माण, इन्हीं के सुपरविजन में करते हैं। इस बार के रील टु रियल में हम प्रोडक्शन डिजाइनिंग और इसकी प्रोसेस पर बात करेंगे। प्रोडक्शन डिजाइनिंग की पूरी प्रोसेस को समझने के लिए हमने प्रोडक्शन डिजाइनर मुनीश सप्पल से बात की, जिन्होंने फिल्म गदर-2, पहेली, रब ने बना दी जोड़ी, भूतनाथ जैसी कई बड़ी हिंदी फिल्मों में बतौर प्रोडक्शन डिजाइनर काम किया है। इसके अलावा वे कई इंटरनेशनल प्रोजेक्ट भी कर चुके हैं। मुनीश ने बताया कि शाहरुख की फिल्म पहेली में रेगिस्तान वाले सीक्वेंस को उन्होंने मुंबई के फिल्म सिटी में फिल्माया था। इसके लिए उन्होंने 300 से 400 ट्रक रेत राजस्थान से मंगवाई थी और फिल्म सिटी में रेगिस्तान का सेट बना दिया था। इसकी टोटल कॉस्ट 2 करोड़ रुपए थी। प्रोडक्शन डिजाइनर अपने अंडर आर्ट डायरेक्टर हायर करते हैं एक प्रोडक्शन डिजाइनर सबसे पहले डायरेक्टर फिर आर्ट डायरेक्टर और कॉस्ट्यूम डिजाइनर के साथ मिलकर काम करता है। प्रोडक्शन डिजाइनर डायरेक्टर के विजन को समझता है, फिर उसे विजुअलाइज करता है। इसके बाद वो उसी हिसाब से फिल्म का सेट डिजाइन करता है। सेट, कॉस्ट्यूम्स और स्क्रीनप्ले के हिसाब से सीन की थीम क्या होगी, यह सारी चीजें प्रोडक्शन डिजाइनर डिसाइड करता है। एक प्रोडक्शन डिजाइनर अपने अंडर कई आर्ट डायरेक्टर्स को हायर कर सकता है। प्रोडक्शन डिजाइनर एक बजट बनाकर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर को देते हैं, फिर वहां से पैसे अलॉट किए जाते हैं डायरेक्टर सबसे पहले प्रोडक्शन डिजाइनर को फिल्म की कहानी सुनाते हैं। इसके बाद प्रोडक्शन डिजाइनर उस हिसाब से सेट और एक्टर्स का लुक डिजाइन करते हैं। फिल्म की शूटिंग कहां-कहां होगी, वहां सेट कैसे बनाए जाएंगे। कितने लोग लगेंगे, बजट कितना जाएगा, इसका पूरा खाका बनाकर प्रोडक्शन डिजाइनर डायरेक्टर को सौंप देते हैं। डायरेक्टर उस खाका को लेकर स्टूडियो या प्रोडक्शन टीम के साथ बैठते हैं। अब डायरेक्टर और प्रोड्यूसर यह तय करते हैं कि उन्हें इसके लिए कितना बजट पास करना है। सहमति बनने पर प्रोडक्शन डिजाइनर को एक बजट अलॉट कर दिया जाता है। पूरी फिल्म को डिजाइन करने में 3 से 6 महीने का वक्त लगता है एक प्रोडक्शन डिजाइनर को स्क्रिप्ट मिलने के बाद फिल्म डिजाइन करने के लिए कितने दिन चाहिए होते हैं? मुनीश ने कहा, ‘अगर साधारण फिल्म है, तो उसके लिए 3 से 4 महीने का समय चाहिए। वहीं पीरियड फिल्मों के लिए 6 महीने से ज्यादा समय लगता है।’ फिल्म की स्क्रिप्ट के हिसाब से एक्टर्स के कपड़े भी प्रोडक्शन डिजाइनर तय करता है। किसी भी फिल्म में प्रोडक्शन डिजाइनर का कितना बड़ा रोल होता है, वो मुनीश अपनी ही फिल्म पहेली के उदाहरण से समझाते हैं। उन्होंने कहा, ‘यह फिल्म राजस्थान के बैकग्राउंड पर बनी थी। डायरेक्टर ने बताया कि फिल्म में राजस्थान के बनियों की कहानी दिखानी है। फिर मैंने विजुअलाइज किया कि उस समय बनिए लोग कपड़े कैसे पहनते होंगे। उस हिसाब से एक स्केच बनाया। उस स्केच को देखकर कॉस्ट्यूम्स बनाए गए। फिल्म में शाहरुख खान वैसे ही कपड़ों में देखे गए।’ शाहरुख को फिल्म में पगड़ी पहनाई, इसके पीछे राजस्थान का अपना इतिहास आपने देखा होगा कि शाहरुख फिल्म पहेली में पगड़ी बांधे दिखाई देते हैं। इसके पीछे भी मुनीश का ही दिमाग था। उन्होंने बताया कि राजस्थान में पहले के पुरुष ऐसी बड़ी-बड़ी पगड़ियां बांधा करते थे। ऐसा इसलिए ताकि विपरीत परिस्थिति में प्यास लगने पर उसे कुएं में डालकर पानी निकाल सकें। शाहरुख ने शूटिंग के वक्त सवाल भी किया था कि इतनी बड़ी और मोटी पगड़ी बांधने का क्या मतलब है। तब मुनीश ने उन्हें इसकी अहमियत बताई थी। मुनीश ने बताया कि फिल्म पहेली की शूटिंग ओरिजिनल लोकेशन पर नहीं हुई थी। पूरी की पूरी फिल्म ही मुंबई के फिल्म सिटी में शूट हुई थी। मुनीश ने कहा, ‘हम लोग पहले राजस्थान गए। वहां हमने लोगों के पहनावे, गलियां, बाजार और हवेलियों का अच्छी तरह निरीक्षण किया। फिर उसी हिसाब से फिल्म सिटी में सेट बनाया। यहां तक कि हमने फिल्म सिटी के अंदर पेड़ भी लगा दिए थे। दो बड़े से पेड़ को जड़ से उखाड़कर फिल्म सिटी में लगा दिया गया था। फिल्म में जो भी हवेलियां, बाजार और गांव दिखाए गए, वो एक भी ओरिजिनल नहीं थे। वो सारे सेट फिल्म सिटी में लगाए गए थे।’ फिल्म सिटी में बनाया रेगिस्तान, 2 करोड़ की रेत मंगवाई गई पहेली में कुछ रेगिस्तान के सीन्स भी हैं। इसका भी पूरा सीक्वेंस फिल्म सिटी में शूट हुआ था। इसके लिए 300 से 400 ट्रक रेत मंगवाकर फिल्म सिटी में गिराई गई। ये साधारण नहीं बल्कि रेगिस्तान वाली रेत थी। दरअसल, शाहरुख खान तपती गर्मी में राजस्थान जाकर शूट नहीं करना चाहते थे। उन्होंने ही मुनीश को फिल्म सिटी में रेगिस्तान का सेट बनाने का आइडिया दिया था। शाहरुख ने कहा कि जितना पैसा लगता है ले लो, लेकिन सेट फिल्म सिटी में ही बनाओ। जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ उस रेगिस्तान वाले सेट को बनाने में 2 करोड़ रुपए का खर्च आया था।’ गदर-2 का बजट कम था, ज्यादा सेट नहीं बना सकते थे 2023 की तीसरी सबसे सफल हिंदी फिल्म गदर-2 का भी प्रोडक्शन डिजाइन का जिम्मा मुनीश ने ही संभाला था। उन्होंने कहा, ‘इस फिल्म का बजट बहुत कम था। हमारे पास इतने पैसे नहीं थे कि इसके कई सारे सेट बनाए जाएं। मैंने डायरेक्टर अनिल शर्मा से चर्चा की और लोकेशन की तलाश करनी शुरू कर दी। काफी रिसर्च के बाद हमने लखनऊ, हिमाचल प्रदेश, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की कुछ लोकेशन को फाइनल किया।’ बस को रेनोवेट कर बना दिया आर्मी टैंक गदर-2 में जो टैंक दिखाए गए थे, वो एक टूटी-फूटी बस को रेनोवेट करके बनाए गए थे। बस के ऊपर के छज्जे को हटा दिया गया था, सिर्फ पहिए को छोड़ दिया गया था। इसके ऊपर टैंक सा दिखने वाला फाइबर लगाया गया था। नीचे लोहे की चेन लगाई गई थी। इसे इस ढंग से लगाया गया था कि बस का ओरिजिनल पहिया न दिखे और चलने पर यह चेन घूमे, ताकि देखने में यह टैंक की तरह लगे। मुनीश ने कहा कि एक प्रोडक्शन डिजाइनर के तौर पर वो फिल्म से जुड़ी हर एक चीज को बहुत बारीकियों से देखते हैं। मान लीजिए किसी फिल्म में आर्मी को दिखाना है, इसके लिए हम सेट पर रियल आर्मी वालों को लेकर आएंगे। आर्टिस्ट आर्मी वाले ड्रेस को ठीक से कैरी कर रहे हैं कि नहीं, अगर गन या टैंक का सीन है तो उसे सही से ऑपरेट कर पा रहे हैं कि नहीं, ये सारी बातें वहां मौजूद आर्मी के अधिकारी हमें गाइड करते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि ताकि हमसे कोई गलती न हो और सीन रियल लगे। *** ये रील टु रियल भी पढ़ें.. 1. सलमान को खतरा, इसलिए फिल्म सिटी में बनाया गया सेट:यहां आर्टिफिशियल हेलीपैड, मंदिर और पुलिस स्टेशन सलमान पहले रियल लोकेशन पर जाकर फिल्म शूट करने वाले थे, लेकिन बीते कुछ दिनों से उनकी जान को लेकर जो खतरा बना हुआ है, इसी वजह से वो अधिकतर शूटिंग फिल्म सिटी में ही कर रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें.. 2. मुंबई का मड आइलैंड :15,000 रुपए में बंगले रेंट पर मिलते हैं; अश्लील फिल्मों की शूटिंग के लिए बदनाम भी रहा क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया और CID जैसे टीवी शोज की अधिकतर शूटिंग मड आइलैंड में ही हुई है। इसके अलावा अमिताभ बच्चन की फिल्म मर्द, अक्षय कुमार की फिल्म लक्ष्मी बॉम्ब, कबीर सिंह, सिंघम रिटर्न और फिर हेरा फेरी जैसी कई फिल्में यहां शूट हुई हैं। लॉकडाउन के वक्त मड आइलैंड अलग वजह से भी चर्चा में रहा। दरअसल मुंबई की क्राइम ब्रांच ने यहां पोर्न रैकेट का पर्दाफाश किया था। पूरी खबर पढ़ें.. 3. धारावी में आने से कतराते हैं एक्टर्स: एशिया के सबसे बड़े स्लम में शूटिंग करना आसान नहीं यहां शूटिंग देखने के लिए भारी भीड़ इकट्ठा हो जाती है, उन्हें रोकने के लिए सिक्योरिटी गार्ड्स नहीं, बल्कि यहां के स्थानीय लोगों से मदद लेनी पड़ती है। रात के वक्त यहां कोई भी सिक्योरिटी गार्ड पहरा देने से डरता है। यहां के लोकल्स न चाहें तो एक फिल्म भी शूट नहीं हो पाएगी। उनका सहयोग बहुत जरूरी है। पूरी खबर पढ़ें..

बॉलीवुड | दैनिक भास्कर