अब बिहार पुलिस से अधिकारी लेने पर दिल्ली सरकार और एलजी आमने-सामने
| दिल्ली सरकार के ऐंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में बिहार के 6 पुलिस अधिकारियों को रखे जाने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। दिल्ली सरकार ने बिहार से डेप्युटेशन पर अधिकारी बुलाने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय से भी इजाजत नहीं ली है और उसके सूत्रों का कहना है कि इसकी जरूरत भी नहीं है। दूसरी तरफ, लेफ्टिनेंट गवर्नर ने कहा है कि इस तरह के किसी भी कदम के लिए उनकी मंजूरी जरूरी है। उनके ऑफिस से जारी बयान में कहा गया है, ‘एसीबी दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर के नियंत्रण और देखरेख में काम करती है। इस स्थिति को गृह मंत्रालय की ओर से हाल में जारी नोटिफिकेशन में भी स्पष्ट कर दिया गया है।’ उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के पुलिस अधिकारियों को एबीसी में रखे जाने की उन्हें कोई जानकारी नहीं है और इसके बारे में राज्य सरकार से कोई प्रस्ताव भी नहीं मिला है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी कहा, ‘एक राज्य के सरकारी कर्मचारियों को यदि काम करने के लिए दूसरे राज्य में भेजा जाता है तो यह कार्य गृह मंत्रालय के जरिए से किया जाना चाहिए। इस मामले में ऐसा लेफ्टिनेंट गवर्नर के जरिए किया जाना चाहिए। हम नहीं जानते कि इस मामले में काम लेफ्टिनेंट गवर्नर या गृह मंत्रालय के जरिए किया गया है या नहीं?’ लेफ्टिनेंट गवर्नर का बयान सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से संजय सिंह और आशुतोष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जवाब दिया। आशुतोष ने कहा, ‘यह कदम हम एसीबी को मजबूत करने के लिए उठा रहे हैं। अगर एसीबी मजबूत होती है तो किसे डरने की जरूरत है, सिर्फ उन्हें जो भ्रष्ट हैं। केंद्र सरकार एसीबी से डर गई है। मुझे लगता है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास रोज सुबह केंद्रीय गृह मंत्रालय से फोन आता है और उन्हें निर्देश दिया जाता है कि क्या-क्या करना है। लेफ्टिनेंट गवर्नर साहब कुर्सी बचाने के लिए केंद्र के आदेशों का पालन कर रहे हैं।’ संजय सिंह ने बताया, ‘दिल्ली सरकार में सिर्फ बिहार के अधिकारी नहीं हैं। हमारे पास यूपी सरकार के भी अधिकारी हैं।’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को यह बताना चाहिए कि मांगे जाने के बावजूद हमें संजीव चतुर्वेदी क्यों नहीं दिया गया। आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में चीफ विजिलेंस अधिकारी थे और कुछ महीने पहले उनका तबादला कर दिया गया था। इससे पहले दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने नियमों का मजाक बना दिया है। सिसोदिया ने कहा, ‘केंद्र सरकार हर काम में अड़ंगा डाल रही है। केंद्र ना तो संविधान को मानता है और ना ही कोर्ट के ऑर्डर को उसने हर नियम का मजाक बना रखा है।’ गौरतलब है कि दिल्ली सरकार की एसीबी में बिहार पुलिस के एक डीसीपी, 2 सब-इंस्पेक्टर, 3 इंस्पेक्टर शामिल कर लिए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि अभी शुरुआत दौर में 6 अफसरों ने जॉइन किया है, मगर बाद में यह संख्या बढ़ सकती है। इनमें से तीन अधिकारियों ने ड्यूटी जॉइन कर ली है, लेकिन अभी तक उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। यह सब उस वक्त हो रहा है, जब एसीबी के अधिकारों को लेकर केजरीवाल सरकार की केंद्र से खींचतान चल रही है। पिछले महीने गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन में एसीबी के अधिकार के दायरे को दिल्ली सरकार तक सीमित कर दिया गयया था। दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बिहार पुलिस से अधिकारी लेने के फैसले का बचाव किया और कहा कि एसीबी के लिए बाहरी फोर्सेज़ से अधिकारियों को लिया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि इसके लिए केंद्र को सूचित करने की जरूरत नहीं है। नीतीश और केजरीवाल सरकार के बीच इस तालमेल से पटना में भी लोग चौंके हुए हैं। राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं है। बिहार सचिवालय में एक सूत्र ने कहा, ‘इलेक्शन नजदीक हैं। मुझे लगता है कि हमें तो और पुलिस अधिकारी चाहिए।’
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