कई बार पारित हो चुका है दिल्ली को पूर्ण राज्य का प्रस्ताव
|दिल्ली सरकार ने देश की राजधानी को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने को लेकर आज से विधानसभा का स्पेशल सेशन बुलाया है। इस तीन दिन के सेशन में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने पर चर्चा होगी और प्रस्ताव पारित कर उसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। वैसे दिल्ली विधानसभा में इस प्रकार के प्रस्ताव पहले भी पारित हो चुके हैं और दिल्ली की बीजेपी व कांग्रेस सरकारें इस प्रस्ताव को पारित कर केंद्र तक पहुंचाते रहें हैं, लेकिन उस पर कभी गौर हीं नहीं किया गया है।
दिल्ली सरकार के सीएम अरविंद केजरीवाल व अन्य मंत्री लगातार इस बात पर आक्रोश जताते रहे हैं कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा न मिलने के कारण वह ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं और इस बंदिश के कारण दिल्ली का विकास भी नहीं हो पा रहा है। इसलिए वे चाहते हैं कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। अपनी इसी इच्छा को अमली जामा पहनाने के लिए सरकार ने आज से दिल्ली विधानसभा का तीन दिन का स्पेशल सेशन बुलाया है। इस सेशन में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस प्रस्ताव को रखेंगे। तीन दिन तक इस पर चर्चा होगी, जिसके बाद सरकार इस प्रस्ताव को पारित कर केंद्र सरकार के पास भेज देगी।
दिल्ली की राजनीति पर नजर रखने वालों को कहना है कि दिल्ली विधनसभा में इस आशय के प्रस्ताव पहले भी चर्चा कर पारित किए जा चुके हैं। लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें कभी भी गंभीरता से नहीं लिया। उसका कारण यह है कि दिल्ली एक मल्टीपल राजधानी है, इसलिए उसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने में कई रुकावटें हैं। सूत्र बताते है कि जब साल 1993 में दिल्ली की बीजेपी सरकार आई थी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना और उनके हटने पर मुख्यमंत्री बने साहिब सिंह वर्मा ने सदन में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित कर उसे केंद्र सरकार के पास भेजा था। साहिब सिंह तो कई दिनों तक इस मसले पर साइकल से चले थे और उन्होंने सरकारी वाहन तक त्याग दिया था।
बताते हैं कि जब दिल्ली में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की अगुवाई में 15 साल तक सरकार चली तो उन्होंने भी दो बार दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित किया और उसे केंद्र सरकार के पास भेजा। खास बात यह रही कि जब यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा गया था तो वहां कांग्रेस की ही सरकार थी। लेकिन इन सभी प्र्रस्तावों पर केंद्र ने कभी भी विचार नहीं किया। वैसे आज से शुरू होने वाले सेशन में दिल्ली सरकार ने पूर्ण राज्य को लेकर पूरी तैयारी कर रखी हो, लेकिन विपक्ष ने सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर रखी है। दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता के अनुसार दिल्ली सरकार की बिजली और पानी के मोर्चे पर विफलताओं को सदन में पुरजोर तरीके से उठाएंगे। किसानों की पीड़ा, बिजली बिलों में फिक्सड चार्ज बढ़ाने, दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद चौथे वित्तीय आयोग का लाभ नहीं देना और नगर निगमों को पंगु बनाने की चेष्ठा, ग्रामीण इलाकों में मेट्रो को जाने से रोकने, मंत्रियों और अधिकारियों के बीच गतिरोध के कारण दिल्ली का विकास ठप होने सहित कई मुद्दे उठाए जाएंगे।
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