सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए होल्डिंग कंपनी बनाने का सही समय: मुंदड़ा

सिंगापुर
नकदी की तंगी और धोखाधड़ी से जूझ रहे भारतीय बैंकिंग सेक्टर के बेहतर मैनेजमेंट के लिए एक बार फिर होल्डिंग कंपनी की चर्चा होने लगी है। रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर एसएस मुंदड़ा ने कहा है कि सरकारी बैंकों के लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाने का यह सही समय है। मुंदड़ा ने बैंकों के निजीकरण को लेकर कहा कि भारत की सामाजिक-आर्थिक स्थिति इसके लिए फिलहाल ठीक नहीं है।

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हालांकि, सरकारी बैंकों के लिए होल्डिंग कंपनी बनाने की चर्चा लंबे समय से है। पिछले 2 दशकों में इसको लेकर कई बार प्रपोजल पेश किया गया, लेकिन पूर्व फाइनैंस सेक्रेटरी आरएस गुजराल की अगुवाई वाली एक कमिटी सहित कई जानकारों ने होल्डिंग कंपनी को लेकर चिंताएं भी जाहिर कीं और यह अब यह तक परवान नहीं चढ़ सका है।

मुंदड़ा ने शुक्रवार रात यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘बैंकों के लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाने पर चर्चा के लिए यह सही समय है। इस प्रकार की होल्डिंग कंपनी में शुरुआत में सरकार की बहुमत हिस्सेदारी होनी चाहिए और कंपनी के पास अलग-अलग बैंक की बहुमत भागीदारी होनी चाहिए।’

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उन्होंने कहा, ‘दूसरे चरण में सरकार को कंपनी में हिस्सेदारी कम कर देनी चाहिए। मेरा मानना है कि यह एक रूपरेखा हो सकती है और इसमें 15 से 20 साल लग सकते हैं।’ एसबीआई चेयरमैन रजनीश कुमार के बयान पर सहमति जताते हुए उन्होंने कहा कि बैकिंग व्यवस्था में सुधार के लिए निजीकरण कोई रामबाण नहीं है, यह पूरी तरह से स्पष्ट है।

कुमार ने अपने बयान में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए परिस्थितियां सही नहीं हैं। एक चर्चा के दौरान कुमार ने देश की वर्तमान सामाजिक-आर्थिक स्थिति का हवाला दिया और कहा कि यह निजीकरण के लिए सही समय नहीं है। हो सकता है 20 साल बाद आपके पास इसके लिए सही समय हो।

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क्या है होल्डिंग कंपनी का मतलब
बैंकर्स और एक्सपर्ट्स का कहना है सरकारी खजाने से बैंकों में पैसा लगाना आसान नहीं होता। ऐसे में सरकार के पब्लिक सेक्टर बैंकों में 51 पर्सेंट मिनिमम होल्डिंग रखने का कोई तुक नहीं बनता। इस सेक्टर में रिफॉर्म के लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाने का सुझाव दिया जाता है, जिसके पास सरकार सभी बैंकों के अपने शेयर रखती। होल्डिंग कंपनी का इस्तेमाल बैंकों के लिए पैसा जुटाने की खातिर किया जा सकता है।

बैंकों के रीकैपिटलाइजेशन के बीच पिछले महीने पंजाब नैशनल बैंक में देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला सामने आया है, जिसने फाइनैंशल सेक्टर को हिला दिया। दोनों टॉप बैंकर्स इस बात से सहमत हैं कि पीएनबी फ्रॉड ने इस इंडस्ट्री को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया।

कुमार ने कहा कि संकट का समाधन निकाला जाए, लेकिन इंडस्ट्री के कॉन्सोलिडेशन से पहले अगले दो सालों तक बैंकों में विश्वास बहाली की जाए। कुमार ने बैंकों में गवर्नेंस को बेहतर बनाने और बैंक बोर्ड-एग्जिक्युटिव लेवल्स की क्वॉलिटी पर जोर दिया।

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