अफगान राष्ट्रपति ने तालिबान के साथ बिना पूर्व शर्तों के वार्ता का प्रस्ताव रखा

काबुल
अफगानिस्तान में पिछले 16 वर्षों से जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने एक महत्वपूर्ण पेशकश की है। उन्होंने बुधवार को कहा कि प्रस्तावित राजनीतिक प्रक्रिया के तहत तालिबान को एक वैध राजनीतिक समूह के तौर पर मान्यता दी जाएगी। दरअसल, गनी ने तालिबान के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के वार्ता का प्रस्ताव रखा है।

शांति वार्ता के लिए प्लैटफॉर्म तैयार करने के मकसद से एक इंटरनैशनल कॉन्फ्रेंस शुरू हुई है। इसमें करीब 25 देशों के अधिकारी शामिल हो रहे हैं। गनी ने संघर्षविराम का प्रस्ताव रखते हुए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। तालिबान के साथ समझौते के तहत इस ऐलान में कैदियों की रिहाई, आतंकियों को शामिल करते हुए फिर से चुनाव कराना और संवैधानिक समीक्षा भी शामिल है।

कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए गनी ने कहा, ‘हम शांति समझौते को आगे बढ़ाने के लिए बिना किसी पूर्व शर्तों के यह पेशकश कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि तालिबान जल्द ही इस प्रक्रिया में अपना योगदान देगा। इसका मकसद तालिबान को एक संगठन के तौर पर शांति वार्ता के लिए आगे लाना है।’ गनी ने कहा कि वार्ता के लिए तालिबान काबुल या किसी दूसरी जगह पर अपना राजनीतिक दफ्तर भी खोल सकता है।

अफगान राष्ट्रपति का यह बयान उनके बदले हुए रुख को दर्शाता है, जो पहले लगातार तालिबान को आतंकवादी और विद्रोही कहते रहे हैं। गौरतलब है कि 2001 में अमेरिकी सैनिकों द्वारा बेदखल किए जाने के बाद से ही तालिबान इस्लामिक शासन बहाल करने के लिए संघर्ष कर रहा है। तालिबान ने अमेरिका के साथ वार्ता शुरू करने की बात तो कही है लेकिन अब तक काबुल के साथ सीधी वार्ता से इनकार करता रहा है। अब भी यह तय नहीं है कि बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद वह अपने रुख में बदलाव लाएगा या नहीं।

उधर, तालिबान की ओर से कहा गया है कि उसपर मित्र देशों की ओर से वार्ता स्वीकार करने का भारी दबाव बनाया जा रहा है। गनी ने कहा है कि इस प्रस्ताव के बदले में तालिबान को अफगान सरकार को स्वीकार करना होगा और कानून के शासन का सम्मान करना होगा।

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