किसानों को जल्द मिलेगा खरीफ फसलों पर डेढ़ गुना एमएसपी

नई दिल्ली
सरकार ने किसानों को खरीफ फसलों के लिए भी लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने और इसके लिए नीति बनाने का ऐलान इस बार के बजट में किया है। सरकार इस काम को जल्द शुरू करने की तैयारी कर रही है। कृषि मंत्रालय का कहना है कि जल्द ही केंद्र सरकार और नीति आयोग इस मसले पर राज्यों से विचार-विमर्श शुरू कर देंगे। विचार इस बात पर भी होगा कि खरीफ की सभी फसलों के लिए लागत का डेढ़ गुना एमएसपी दिया जाए या फिर कुछ चुनिंदा फसलों के लिए। सरकार पिछले साल नवंबर में रबी फसलों के लिए लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने का ऐलान कर चुकी है, लेकिन किसान संगठनों और विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने लागत का आकलन ठीक तरह से नहीं किया है, जिसके कारण एमएसपी का निर्धारण किसानों की उम्मीद के मुताबिक नहीं हुआ है।

गौरतलब है कि कृषि क्षेत्र के बुरी हालत के कारण केंद्र सरकार लगातार किसानों और विरोधी दलों के निशाने पर है। कृषि मंत्रालय का कहना है कि वह एनडीए सरकार के गठन के बाद से ही किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने के लिए काम कर रहा है। मंत्रालय के मुताबिक, 2013-14 में गेहूं का एमएसपी 1400 रुपये प्रति क्विंटल था, जिसे साल 2017-18 के लिए 1735 रुपये कर दिया गया है। जौ का एमएसपी 1100 रुपये था, जो अब 1410 रुपये कर दिया गया है। चने के लिए 3100 रुपये दिए जा रहे थे। इस राशि को 4400 रुपये कर दिया गया है। इसी तरह मसूर के एमएसपी को 2950 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 4250 रुपये कर दिया गया है। 2014 के बाद से फसलों के एमएसपी में 26 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। 2013-14 में धान का एमएसपी 1310 था, जो फिलहाल 1550 रुपये है। बाजरा के लिए 1250 रुपये तय किए गए थे, जो अब 1425 रुपये हैं। अरहर का एमएसपी 4300 रुपये था, जो अब 5450 रुपये है।

सरकार की ओर से रबी फसलों के लिए लागत का डेढ़ गुना एमएसपी किए जाने के बावजूद किसान खुश नहीं हैं। विपक्षी दल का कहना है कि सरकार ने कृषि की लागत को तय करने के लिए स्वामीनाथन फॉर्म्युले पर अमल नहीं किया है। किसानी की लागत में ईंधन, बिजली, पेस्टिसाइड्स, सिंचाई, पारिवारिक सदस्यों के श्रम आदि पर देय ब्याज को भी शामिल किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार ने रबी फसलों के लिए एमएसपी तय करने में जमीन के किराए और मशीनरी के ब्याज आदि को शामिल नहीं किया। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति का कहना है कि सरकार ने लागत की परिभाषा को बदल कर उसे कम कर दिया है। जो समर्थन मूल्य पहले से घोषित किया था, उसी को डेढ़ गुना बता दिया है और उसी को स्वामीनाथन सिफारिशों का नाम दे दिया है।

एमएसपी दिलाना भी चुनौती
केंद्र का कहना है कि सिर्फ एमएसपी बढ़ा दिए जाने से ही बात नहीं बनेगी, किसानों को इसे दिलाना भी एक बड़ी चुनौती है। उत्पादन बढ़ने और मांग कम होने से फसलों के दाम गिर जाते हैं। ऐसे में सरकार किसानों को नुकसान से बचाने और फसल का मूल्य दिलाने के लिए भी राज्यों से बातचीत करने की तैयारी कर रही है। वह मध्य प्रदेश की भावान्तर योजना को पूरे देश में लागू करना चाहती है, ताकि किसानों को एमएसपी और बाजार रेट में अंतर होने पर नुकसान न हो। केंद्र राज्यों से बातचीत कर इस मद में पैसे का इंतजाम करने के लिए राज्यों से बात करेगा।

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