अलका लांबा को मिले थे चार ‘शानदार’ ऑफिस!
|राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जो अध्यादेश (गजट नोटिफिकेशन) जारी कर आप के जिन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द की है। उसमें जानकारी दी गई है कि लापरवाही और उदारता का आलम यह है कि संसदीय सचिव के रूप में एक विधायक (अलका लांबा) को एक नहीं बल्कि चार सुसज्जित कार्यालय दिए गए और इन कार्यालयों को संवारने पर मोटी धनराशि खर्च की गई। अलका ने इसे कोरा झूठ करार दिया है और दावा किया है कि उन्हें एक भी कमरा नहीं मिला। खास बात यह है कि वकील प्रशांत पटेल ने जो जानकारी केंद्रीय चुनाव आयोग तक पहुंचाई है, उसमें अलका लांबा के होर्डिंग्स व पत्रों की जानकारी दी गई है, जिनमें उन्होंने अपने कार्यालय का पता इनमें दिया है।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने करीब 60 पेज की जो रिपोर्ट राष्ट्रपति तक पहुंचाई है और उसी रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति ने आप आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी है। इसमें यह जानकारी दी गई है कि किस तरह इन विधायकों ने संसदीय सचिव के रूप में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद) का इस्तेमाल किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि इन सभी विधायकों को दिल्ली सरकार की ओर से विधानसभा परिसर, दिल्ली सरकार के मंत्रियों के कार्यालयों या अन्य सरकारी आवासों पर एक या एक से अधिक कार्यालय दिए गए और उन्हें सरकारी धनाराशि से संवारा गया। इसमें संसदीय सचिव बनी चांदनी चौक की विधायक अलका लांबा के बारे में खासा हैरतअंगेज खुलासा किया है।
राष्ट्रपति को भेजी रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि उनको यह कमरे खासी लापरवाही और उदारता से दिए गए कि एक संसदीय सचिव (अलका लांबा) को एक नहीं बल्कि चार सुसज्जित कमरे दिए गए। इनमें एक कार्यालय विधानसभा भवन में, दो कार्यालय सीपीओ भवन में और एक कार्यालय अरुणा आसफ अली अस्पताल में दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार यह समझ से परे है कि क्यों इस संसदीय सचिव को विभिन्न स्थानों पर चार कमरों/कार्यालयों की जरूरत होनी चाहिए थी और क्यों दिल्ली सरकार ने उन्हें उन्हें सुसज्जित करने के लिए इतनी धनराशि खर्च की। सूत्र बताते हैं कि इस मसले पर सरकार से लड़ाई लड़ रहे युवा वकील प्रशांत पटेल ने पुरानी दिल्ली में लगे होर्डिंग्स की फोटो और कुछ ऐसे पत्र चुनाव आयोग को सबूत के तौर पर सौंपे थे, जिसमें इस बात की जानकारी थी कि अलका ने उनमें अपने कार्यालय का नाम इन सरकारी कार्यालयों का दिया हुआ था।
इस मसले पर अलका लांबा का कहना है कि यह कोरा झूठ है कि उन्हें संसदीय सचिव रहते कोई सरकारी आवास मिला। उन्होंने कहा कि उन्हें कोई सुसज्जित आवास ही नहीं मिला। दूसरी बात यह है कि इस पद पर आने से पहले ही राजनिवास ने संसदीय सचिव का पद निरस्त कर दिया था, इसलिए जब हमें यह पद मिला ही नहीं हो कोई लाभ कैसे माना जाए। अलका के अनुसार उन्हें सरकार की ओर से जो कार्यालय मिला है, वह तो सभी विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में दिया गया है। असल में दिल्ली सरकार के तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी केके शर्मा ने चुनाव आयोग तक 130 पेज के जो दस्तावेज पहुंचाए हैं, उनमें इस बात की जानकारी दी गई है कि इन विधायकों के कार्यालयों को संवारने के लिए लाखों रुपये खर्च किए गए। साथ की एक विधायक आदर्श शास्त्री को मुंबई में एक मीटिंग के लिए करीब 15 हजार रुपये का भत्ता भी दिया गया।
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