दक्षिण चीन सागर: भारत ने की नियम आधारित सुरक्षा ढांचे की वकालत
|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में संयुक्त प्रयासों का आह्वान करते हुए मंगलवार को कहा कि भारत को इसके चलते बहुत अधिक नुकसान उठाना पड़ा है। आसियान के सदस्य देशों के नेताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि क्षेत्र के लिए नियम आधारित सुरक्षा व्यवस्था ढांचे के लिए भारत आसियान को अपना समर्थन जारी रखेगा। मोदी के इस बयान को इशारों में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ हमला माना जा रहा है।
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मोदी ने कहा, ‘हमें आतंकवाद के कारण नुकसान उठाना पड़ा है। हमारे समक्ष एकजुट होकर आतंकवाद को खत्म करने के बारे में सोचने का समय आ गया है।’ उन्होंने कहा कि आसियान के 50 वर्ष गौरव, उल्लास और आगे की ओर सोचने का मौका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आसियान को अपनी ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत प्रमुखता से रखता है। आसियान के साथ हमारे संबंध पुराने हैं और हम सहयोग को और मजबूत करना चाहते हैं।
सम्मेलन में दक्षिण चीन सागर विवाद की छाया साफ देखने को मिली। प्रधानमंत्री ने आसियान नेताओं से कहा, ‘हम क्षेत्र में कानून आधारित सुरक्षा व्यवस्था के लिए आसियान को अपना समर्थन जारी रखेंगे।’ बता दें कि भारत इस सामरिक क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय कानून के हिसाब से मुक्त और खुला रखने का हिमायती रहा है। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति भी आसियान सम्मेलन में विमर्श का विषय रही। चीन इस पूरे क्षेत्र पर अपना दावा जताता है, लेकिन वियतनाम, फिलीपींस और ब्रुनेई जैसे आसियान के कई सदस्य देश चीन के इस दावे का विरोध करते हैं।
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गौरतलब है कि मनीला में रविवार को हुई भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की बैठक में भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला, समृद्ध और समावेशी बनाने के उपायों पर बातचीत हुई थी। चार देशों के साथ आने से चीन का चिंतित होना स्वाभाविक है, लेकिन उसने उम्मीद जताई है कि यह ‘गठजोड़’ उसके खिलाफ नहीं है।
आसियान नेताओं को न्योता
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 125 करोड़ भारतीय 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में आसियान नेताओं के स्वागत की प्रतीक्षा कर रहे हैं। थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रुनेई इस दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) के सदस्य देश हैं।
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