नोटबंदी से मिली डिजिटल लेनदेन को रफ्तार, 2017-18 तक 1800 करोड़ पहुंचने की उम्मीद
|आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश में वर्ष 2017-18 में डिजिटल लेनदेन में 80 फीसदी का इजाफा हो सकता है। यह रकम कुल मिलाकर 1800 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। नोटबंदी के बाद बने माहौल को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
इस साल अक्टूबर तक डिजिटल ट्रांजेक्शन की कीमत 1000 करोड़ से ज्यादा पहुंच चुकी थी। यह वित्तीय वर्ष 2016-17 में हुए कुल डिजिटल ट्रांजेक्शन के लगभग बराबर है। डिजिटल ट्रांजेक्शन अब एक चलन बनता जा रहा है। सूचना मंत्रालय के अनुसार जून, जुलाई और अगस्त के महीनों में 136-138 करोड़ रुपये का डिजिटल लेनदेन हुआ।
देखने वाली बात यह है कि मार्च और अप्रैल में जब नोटबंदी के बाद पैदा हुई कैश की किल्लत दूर होने लगी थी, डिजिटल लेनदेन में इजाफा देखा गया। इन दोनों महीनों में 156 करोड़ रुपये का डिजिटल लेनदेन हुआ। उसके बाद से 136-138 करोड़ रुपये के औसत से डिजिटल ट्रांजेक्शनंस हो रहे हैं।
यह रिपोर्ट ससंद की फाइनैंस स्टैंडिंग कमिटी के सामने रखी गई है। इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा किए जाने के बाद से ही रोजमर्रा के कामकाजों डिजिटल पेमंट का चलन बढ़ रहा है फिर चाहे वह यूपीआई-भीम हो, आईएमपीएस एम-वॉलेट या डेबिट कार्ड, लोग अब पहले से अधिक डिजिटल पेमंट का इस्तेमाल कर रहे हैं।
जनधन- आधार-मोबाइल की तिकड़ी स्थापित करने में भी काफी प्रगति देखी गई है। देश में 118 करोड़ मोबाइल, करीब इतने ही आधार नंबर और 31 करोड़ जनधन खाते होने की बात इस रिपोर्ट में कही गई है।
ई-फाइलिंग करने वाले लोगों की संख्या में भी काफी इजाफा देखा गया है। जीएसटी में पंजीकृत 72 लाख व्यापारियों ने ऑनलाइन फाइलिंग की। इसके साथ ही 2015-16 के मुकाबले 2016-17 में इनकम टैक्स की ई-फाइलिंग करने वालों की संख्या में 23 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई।
आधार को लेकर भी सरकारी आंकड़े कुछ ऐसी ही तस्वीर दिखाते हैं। आधार के आर्किटेक्ट कहे जाने वाले नंदन नीलकेणी ने हाल ही में एक बयान देकर कहा था कि आधार के जरिए सरकार ने करीब 9 अरब डॉलर की बचत की है। सरकार ने कहा कि डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर से 2016-17 तक 57029 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
ई-टोल पेमंट में भी काफी इजाफा हुआ है। जनवरी 2016 में जहां यह 88 करोड़ रुपये था वहीं अगस्त 2017 में 275 करोड़ रुपये तक पहुंच गया लेकिन सितंबर 2017 तक टैग्स की संख्या 6 लाख तक सीमित रही। सरकारी ऐप भीम-यूपीआई के जरिए ट्रांजेक्शन में काफी इजाफा हुआ है। नवंबर 2016 में यह 101 करोड़ रुपये थी वहीं अक्टूबर 2017 में यह 7057 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
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