सुगम कारोबार लिस्ट: एक वर्ष में भारत की 30 अंकों की छलांग के पीछे की कहानी
|विश्व बैंक की सुगम कारोबार वाले देशों की लिस्ट में भारत ने एक ही वर्ष में 30 स्थान की बढ़ोतरी की। यह एक वर्ष के अंतराल में भारत द्वारा लगाई गई सबसे बड़ी छलांग है। दरअसल, इस रैंकिंग में भारत की कामयाबी का श्रेय पूरी बारीकी से तैयार की गई एक योजना को जाता है।
इसकी शुरुआत हुई सरकार द्वारा वर्ल्ड बैंक को इस बात के लिए राजी करने से हुई कि रैंकिंग का निर्धारण करने वाला सर्वे दिल्ली और मुंबई दो शहरों में किया जाए, न कि 2016 की तरह सिर्फ मुंबई में। यह हालांकि इस योजना की शुरुआत भर थी।
भारत में कारोबार को सुगम बनाने की प्रक्रिया में लगे डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी ऐंड प्रमोशन (डीआईपीपी) के लिए आगे का रास्ता आसान नहीं था। तीन वर्ष पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले तीन सालों में भारत को टॉप 50 देशों की खास लिस्ट में शामिल करने की बात कही थी तभी तत्कालीन डीआईपीपी सचिव अमिताभ कांत ने इसके लिए चेकलिस्ट बनानी शुरू कर दी थी। उन्होंने पाया कि ज्यादातर बदलाव मौजूदा कानूनी ढांचे में ही संभव हैं।
उनके उत्तराधिकारी रमेश अभिषेक ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। उन्होंने मुंबई और दिल्ली की नगरपालिकाओं के साथ काफी बैठकें कीं। उन्हें और कांत को मुंबई और दिल्ली की बिजली कंपनियों को नए कनेक्शन और पेमंट लेने की प्रक्रिया को ऑनलाइन ले जाने में कुछ समय लगा। जब यह हो गया तो ‘बिजली प्राप्त करने’ के मानक में भारत की रैंकिंग जो वर्ष 2015 में 170 थी वह 2017 में 26 हो गई। दिल्ली जल बोर्ड ने अपनी फीस कम की, जिस पर वर्ल्ड बैंक का ध्यान अभी नहीं गया है।
स्थानीय निकायों से कई मंजूरी लेना भी आसान नहीं था लेकिन जब सारा सिस्टम ऑनलाइन हो गया तो एजेंसियों पर भी तय समय में जवाब देने का दबाव पड़ा इससे सिस्टम काफी आसान हो गया। नैशनल मॉन्यूमेंट्स अथॉरिटी ने भी उन क्षेत्रों की पहचान की जहां अनुमति की आवश्यकता थी। इसने एक तय समय में अनुमति देने की प्रक्रिया को आसान बनाया।
केंद्र में कई विभागों- कॉमर्स से लेकर कस्टम और कॉर्पोरेट अफेयर तक- ने मिलकर व्यापार के लिए भरे जाने वाले फॉर्म्स की संख्या कम करने पर काम किया। इस पूरी प्रक्रिया से अनुमति के लिए लगने वाले वक्त में काफी कमी आई। उदाहरण के लिए अगर आप अपना व्यापार शुरू करना चाहते हैं तो आप कुछ ही घंटों में अपनी फर्म का नाम चुन और रजिस्टर कर सकते हैं। इस काम के लिए पहले तीन हफ्ते का समय लगता था। अप्रूवल अब पैन और टैन के साथ आता है।
अभिषेक ने कहा, ‘शुरुआत में ऑनलाइन सिस्टम पर जाना हमेशा कारगर नहीं रहा।’
कई बार कम बैंडविथ या अनुपयोगी हार्डवेयर के कारण ऑनलाइन टूल्स काम नहीं करते थे। इनमें से ज्यादातर समस्याओं का हल ढूंढ लिया गया। 2016 में भारत 131 से 130वें स्थान पर आया था। इसके बाद प्रधानमंत्री ने मंत्रियों को तय समय-सीमा से पहले जरूरी बदलाव करने के निर्देश दिए गए। अगर वर्ल्ड बैंक के आकलन की डेडलाइन दिसंबर थी, तो इस पूरी प्रक्रिया को इससे पहले ही खत्म करना जरूरी था ताकि बैंक द्वारा सर्वे की गईं कंपनियों को बदलाव करने का वक्त मिल सके।
अभिषेक ने कहा, ‘एमसीडी जैसी एजेंसी अब वॉट्सऐप ग्रुप पर है। आप यहीं पर अपनी समस्याएं बता सकते हैं। मानसिकता बदल रही है यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।’
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