यूके और यूएस में भारतीयों को नहीं मिल रही नौकरी!
|नौकरी के लिहाज से भारतीयों के टॉप-2 डेस्टिनेशन यूके और यूएस में 42 और 38 प्रतिशत नौकरियों की कमी आई है। ये कमी वहां चल रहे राजनीतिक हालात की वजह से आई है। ये बातें ग्लोबल जॉब पोर्टल इनडीड के सर्वे से पता चली है। सर्वे के अनुसार यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) में नौकरी की तलाश करने वाले भारतीयों की संख्या में 21 प्रतिशत की कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रेग्जिट की वजह से भी यूके में जॉब सर्च करने वाले भारतीयों में कमी आई है लेकिन इसी दौरान जर्मनी में 10 प्रतिशत और आयरलैंड में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
इनडीड इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर शशि कुमार का कहना है कि विश्व के सबसे बड़े आईटी हब भारत के आईटी प्रफेशनल्स की ऐतिहासिक रूप से यूएसए, यूके और ऑस्ट्रेलिया में मांग घटी है। विदेश में जॉब की तलाश कर रहे भारतीयों में 5 प्रतिशत की कमी आई है। वहीं यूके के 25 प्रतिशत प्रफेशनल्स भारत में जॉब करना चाहते हैं। दूसरी ओर एशिया पैसिफिक रीजन से भारत में जॉब की चाह रखने वाले प्रफेशनल्स में 170 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इन सब के बावजूद नौकरी के लिहाज से यूएसए टॉप पर बना हुआ है। 49 प्रतिशत लोग यहां जॉब करना चाहते हैं वहीं यूएई 16 प्रतिशत, कनाडा 9 प्रतिशत, यूए 5 प्रतिशत सिंगापुर 4, ऑस्ट्रेलिया, 3 कतर 2 प्रतिशत भारतीय जॉब चाहते हैं। 1960 में 12000 भारतीय यूएसए प्रवास करते थे। वहीं 2015 में यह आंकड़ा 24 लाख हो गया। मैक्सिकन के बाद भारतीय प्रवासी दूसरे नंबर पर हैं।
ग्रीन कार्ड : 100 भारतीयों ने खटखटाया यूएस कांग्रेस का दरवाजा
लगभग 100 से ज्यादा भारतीय आईटी प्रफेशनल्स के एक ग्रुप ने एच-1 बी वीसा को लेकर सोमवार को वॉशिंगटन यूएस कांग्रेस का दरवाजा खटखटाया। ग्रुप ने ग्रीन कार्ड को लेकर कंट्री स्पेसफिक कोटे को खत्म करने की मांग की। उनका कहना था कि जब हमें स्कील और अनुभव के आधार पर जॉब मिलती है फिर ग्रीन कार्ड के लिए हम किस देश में पैदा हुए हैं ये क्यों देखा जा रहा है। हर साल अमेरिका को एक लाख से ज्यादा भारतीयों की ओर से ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन मिलते हैं लेकिन इनमें से 10 हजार को ही ग्रीन कार्ड मिल पाता है। ग्रीन कार्ड एक तरह से अमेरिका का नागरिक होने का दर्जा देता है। इसके आवेदकों की संख्या हर साल बढ़ रही है।
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