संख्या कम करने के बावजूद 16 माह से नहीं मिल रही पेंशन
|दिल्ली के गरीबों और बुजुर्गों के लिए परेशानी लगातार बढ़ रही है। उन्हें पिछले 16 माह से पेंशन नहीं मिल रही है, जिस कारण उनका जीवन यापन मुश्किल हो रहा है। खास बात यह है कि यह परेशानी साउथ एमसीडी में आ रही है, जहां आर्थिक संकट नहीं है। यहां पार्षदों का पेंशन कोटा घटाकर करीब आधा कर दिया गया है, इसके बावजूद पेंशन नहीं मिल रही है। पेंशन संकट को लेकर विपक्ष ने बीजेपी शासित नगर निगम पर आरोप लगाए हैं।
पेंशन वितरण को लेकर नॉर्थ और ईस्ट एमसीडी तो जूझ ही रहे हैं, तो साउथ एमसीडी का हाल अच्छा नहीं है। तीनों एमसीडी में साउथ एमसीडी ही ऐसी है जहां स्टाफ को समय पर सैलरी मिल रही है, लेकिन उसके इलाके में पेंशन वाले गरीब खासी परेशानी झेल रहे हैं। अगर पेंशन की संख्या देखें तो इसमें खासी कटौती कर दी गई है। इस मसले पर मेयर कमलजीत सहरावत का कहना है कि पहले हर वॉर्ड का पार्षद इलाके में 700 पेंशन जारी कर सकता था। लेकिन अब इनकी संख्या घटाकर 400 कर दी गई है। उसका कारण यह है कि दिल्ली सरकार ने ओल्ड एज पेंशन और विधवा पेंशन को अपने अधीन कर लिया है। उन्होंने कहा कि हम सरकार को यह पेंशन देना नहीं चाहते थे, लेकिन सरकार हाई कोर्ट से ऑर्डर ले आई, जिसके बाद हमें झुकना पड़ा।
लेकिन हर वॉर्ड में पेंशन कम हो जाने के बावजूद साउथ एमसीडी के पेंशनरों को करीब 16 माह से पेंशन नहीं मिल पा रही है। पेंशन के लिए गरीब लोग पार्षदों के निवास पर रोज जा रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मेयर ने वादा किया है कि इस साल फरवरी तक की सभी पेंडिंग पेंशन को निपटा दिया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि दिवाली तक पेंशन देने का प्रयास किया जाएगा। लेकिन सूत्र बताते हैं कि पेंशन देने को लेकर अफसरों की ओर से फाइल ही मूव नहीं हुई है। इस मसले पर साउथ एमसीडी में कांग्रेस दल के नेता अभिषेक दत्त का आरोप है कि एमसीडी शासन अपने गरीबों को पेंशन देने के बजाय अफसरों को सेलरी देने में प्रमुखता दिखा रहा है। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि साउथ एमसीडी में पेंशन के लिए गरीब मारे-मारे फिर रहे हैं। अभिषेक के अनुसार इस मसले को निगम की बैठकों में कई बार उठाया जा चुका है, लेकिन शासन सुनवाई ही नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस मसले पर बीजेपी शासन के खिलाफ जल्द ही आंदोलन शुरू किया जाएगा।
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