पशुओं को तो पकड़ लें, लेकिन रखे कहां पर!
|सड़कों, कॉलोनियों, गलियों आदि में आवारा पशुओं की गतिविधियों से त्रस्त लोगों को फिलहाल इनसे राहत मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। उसका कारण यह है कि इन पशुओं को जिन गौशालाओं में रखा जाता है, वे पूरी तरह से भर चुकी है और उन्होंने एमसीडी से पकड़े गए पशुओं को लेने से इनकार कर दिया है। एमसीडी ने इन पशुओं को ‘गोद’ लेने के लिए पड़ोसी राज्यों से भी बात की, लेकिन उन्होंने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। फिलहाल पशु विभाग हाथ-पर-हाथ रखे बैठा है।
नॉर्थ एमसीडी के शहरी इलाकों के लोग आजकल आवारा पशुओं से खासे परेशान हैं। सड़कों, चौराहों, गलियों और कॉलोनियों में इन आवारा पशुओं का जमावड़ा दिखाई देता है। इनके चलते लोग चोटिल हो रहे है और वाहन टकरा रहे हैं। करीब एक साल से इन आवारा पशुओं का आतंक हर जगह दिखाई दे रहा है। इस समस्या के लगातार बढ़ने की संभावना दिखाई दे रही है, उसका कारण यह है कि एमसीडी के वैटिनरी विभाग ने इस पशुओं को पकड़ने का अभियान स्थगित कर रखा है। उसके पीछे विभाग के रोचक तर्क हैं।
विभाग के एक आला अधिकारी के अनुसार नॉर्थ एमसीडी के किसी भी इलाके से पकड़े गए आवारा पशुओं को रखने की जिम्मेदारी दो गौसनों के पास है। इन गौसदनों की जितनी क्षमता है, उससे अधिक गायें वहां रखी जा रही है, इसलिए वहां के प्रबंधकों ने हमारे पकड़े गए आवारा पशुओं को लेने से इनकार कर दिया है। अधिकारी के अनुसार आउटर दिल्ली स्थित बवाना गौसदन में पशु रखने की क्षमता 7500 और हरेवली के गौसदन की क्षमता 3500 पशु है। इसके बावजूद वहां अधिक गायें पाली जा रही हैं। अधिकारी के अनुसार पिछले दिनों एक वीआईपी कम्प्लेन पर विभाग का दस्ता 13 पशु लेकर एक गौसदन के पास पहुंचा था, लेकिन उन्होंने लेने से इनकार कर दिया। बाद में बड़े नेताओं और अफसरों के समझाने पर बड़ी मुश्किल से इन पशुओं की एंट्री की गई।
विभाग के सूत्रों के अनुसार आवारा पशुओं को समीपवर्ती राज्यों में भी भेजे जाने पर काफी मशक्कत की गई, ताकि इस समस्या का निदान तलाशा जाए, लेकिन बताते हैं इन राज्यों के गौसदनों ने दिल्ली के आवारा पशुओं को यह कहकर लेने से इनकार कर दिया कि वे उनके किसी काम के नहीं है। विभाग के अनुसार इस बाबत इन राज्यों के पशु विभाग से भी पत्र व्यवहार किया गया, लेकिन वहां से कोई जबाव नहीं आया है। नॉर्थ एमसीडी प्रवक्ता वाईएस मान ने माना कि आवारा पशुओं के संरक्षण में वाकई समस्या आ रही है। इस बात के प्रयास चल रहे हैं कि और गौसदन खोले जाएं, इसके लिए जमीन को लेकर दिल्ली सरकार को पत्र लिखा जा रहा है।
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