सिक्का मामले से फिर चर्चा में आई कंपिनयों की उत्तराधिकार योजनाएं
|प्रमुख आईटी कंपनी इन्फोसिस के चर्चित सीईओ विशाल सिक्का के अचानक इस्तीफा दिए जाने से जहां भारतीय कंपनियों में उत्तराधिकार की योजनाओं को लेकर सवाल उठ रहे हैं वहीं मानव संसाधन विशेषज्ञों का मानना है कि ब्लूचिप यानी बड़ी कंपनियों में उत्तराधिकार की योजना बहुत मायने रखती है ताकि ऐसे संस्थानों का अस्तित्व उनके प्रवर्तकों के बाद भी बना रह सके।
उत्तराधिकार की योजना की अवधारणा प्राय: भारत में नहीं मिलती है और कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी किसी भी जरूरत के समय देश की कुछ बड़ी कंपनियां लड़खड़ाती नजर आई हैं। यहां उल्लेखनीय है कि भारत में कंपनियों में उत्तराधिकार की योजना को लेकर हमेशा से ही चर्चा रही है, लेकिन सिक्का के अचानक और अप्रत्याशित इस्तीफे से यह एक बार फिर सुर्खियों में है।
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इन्फोसिस के पहले गैर संस्थापक सीईओ सिक्का ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने संस्थापकों के लगातार हमलों के मद्देनजर यह कदम उठाया है। किसी बड़ी कंपनी में ‘आला अधिकारी ‘ के यूं अचानक चले जाने की यह दूसरी घटना है। पिछले साल नवंबर में साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकिंग, वित्तीय सेवा व बीमा (बीएफएसआई) जैसे क्षेत्रों की कुछ ही कंपनियां उत्तराधिकार योजना के मामले में वैश्विक संगठनों के अनुरूप हैं। स्टाफिंग सेवा फर्म टीमलीज सर्विसेज की सह संस्थापक ऋतुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा, ‘किसी भी प्रगतिशील और वृद्धि केंद्रित संगठन के लिए मजबूत नेतृत्व क्रम बनाना बहुत ही प्राथमिकता वाला है क्योंकि यह एक ऐसा स्थायी संस्थान बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है जो अपने प्रवर्तकों से भी आगे बना रहे।’
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विशेषज्ञों के अनुसार आमतौर पर यह भी देखने को मिलता है कि जब कोई गैर प्रवर्तक शीर्ष पद पर आता है तो दिक्कत शुरू हो जाती है जैसा कि सिक्का के मामले में हुआ। इनके अनुसार भारतीय कंपनियां उत्तराधिकार योजना के मामले में अपनी समकक्ष वैश्विक कंपनियों से कहीं पीछे हैं। अंतल इंटरनेशनल इंडिया के प्रबंध निदेशक जोसेफ देवासिया ने कहा, ‘कंपनियों के लिए उत्तराधिकार की योजना तय करना बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में यह है लेकिन अनेक नई बड़ी कंपनियां इस मोर्चे पर संघर्ष करती नजर आ रही हैं।’
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