SCS को लेकर दबाव में चीन, ट्रंप ने अमेरिकी नेवी को दी और ज्यादा आजादी
|अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के आक्रामक कदम से चीन की बेचैनी बढ़ गई है। ट्रंप ने दक्षिण चीन सागर में अपनी नौसेना को ‘फ्री हैंड’ दे दिया है जिससे यहां अपनी सैन्य मौजूदगी को बढ़ाने में लगे चीन पर दबाव बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस कदम को दक्षिण चीन सागर के ज्यादातर हिस्सों पर पेइचिंग के दावे को चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है। दक्षिण चीन सागर के एक बड़े हिस्से पर चीन के अतिरिक्त 5 दूसरे देश वियतनाम, मलयेशिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई और फिलिपिंस अपना दावा जताते हैं।
अमेरिका का यह कदम चीन की विस्तारवादी नौसेना को दक्षिण चीन सागर में ही उलझाकर रखेगा। इससे भारत और जापान जैसे दूसरे देशों के साथ सीमा विवाद के मसले पर चीन पर दबाव बढ़ेगा, वह भी ऐसे समय में जब सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी अपने कॉन्क्लेव की तैयारी में लगी हुई है जिसमें कई बड़े राजनैतिक बदलाव होने वाले हैं।
अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस की तरफ से पेश किए गये प्लान के मुताबिक अमेरिकी नौसेना के जहाज पूरे एक साल तक दक्षिण चीन सागर में मौजूद रहेंगे। अमेरिकी नौसेना को पिछले ओबामा प्रशासन के मुकाबले और ज्यादा आजादी मिलेगी। ट्रंप प्रशासन का यह फैसला ऐसे वक्त आया है जब बाल्टिक सागर में चीन और रूस संयुक्त नौसैनिक अभ्यास कर रहे हैं। विश्लेषकों के मुताबिक रूस के साथ संयुक्त नौसैनिक युद्धाभ्यास के जरिए पेइचिंग मॉस्को को यह भरोसा दिलाना चाहता है कि अगर पश्चिमी शक्तियों की तरफ से उसे कोई खतरा हुआ तो चीन उसके (रूस के) साथ खड़ा रहेगा।
पेइचिंग बेस्ड नौसेना विशेषज्ञ ली जी ने चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स को बताया, ‘अपने सबसे ज्यादा आधुनिक गाइडेड मिसाइल विध्वंसक को भेजकर चीन ने रूस के प्रति अपनी गहरी दोस्ती का इजहार किया है। इसके अलावा यह हमें उकसाने वाले अन्य देशों के लिए भी सख्त संदेश की तरह है।’
चीन दक्षिण चीन सागर को लेकर हेग स्थित इंटरनैशनल कोर्ट में अपना केस हार चुका है। इंटरनैशनल कोर्ट ने पेइचिंग के दावे को गैरकानूनी और अतिक्रमण वाला बताया था। लेकिन चीन ने इंटरनैशन कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। विश्लेषकों का कहना है कि चीन पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में अपने एयर डिफेंस को मजबूत बनाने में लगा है।
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