रैन बसेरा: चंद महीने में बदल गई सूरत
| अभी चल रहा है समर प्लान
दिल्ली में रैन बसेरों के संचालन की जिम्मेदारी दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) के पास है। बोर्ड को हर वर्ष समर और विंटर प्लान बनाना होता है ताकि बेघरों को पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें। चूंकि अभी गर्मी चरम पर है इसलिए एक मई से यह प्लान शुरू हो चुका है, जोकि 31 जुलाई तक रहेगा। इस प्लान के तहत रैन बसेरा में कूलर से लेकर पंखे, बिजली और पानी के पर्याप्त इंतजामों के अलावा बिस्तर भी साफ रखने का नियम है।
6 महीने पहले किया था शुरू
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कश्मीरी गेट स्थित डांडी पार्क और सराये काले खां में दो रैन बसेरा का उद्घाटन करीब छह महीने पहले दिसंबर 2016 में किया था। उस वक्त इन बसेरों में मोहल्ला क्लिनिक का इंतजाम भी किया गया। ताकि बेघरों को इलाज भी मिल सके। इस दौरान केजरीवाल के इस रैन बसेरे की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। जिसमें बसेरा किसी थ्री स्टार होटल के कमरे जैसा दिखाई दे रहा था। रेकॉर्ड तोड़ रहे तापमान में इसी बसेरे की पड़ताल हमारे सहयोगी अखबार सान्ध्य टाइम्स ने कल रात डेढ़ बजे की।
दिन में नहीं था कोई
सबसे पहले सराये कालेखां स्थित रैन बसेरा का निरीक्षण दिन में किया गया। इस दौरान यहां केयर टेकर मिला जबकि लोग बसेरा में मौजूद नहीं थे। पूछने पर पता चला कि ये लोग सूरज ढ़लने के साथ यहां आते हैं। बाकी सामने फ्लाईओवर के नीचे अपना खाना बना रहे थे। जब इन लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि यहां बिजली बार बार चली जाती है। वैसे तो सरकार द्वारा यहां रोज़ाना सुबह-शाम 8 हज़ार लीटर पानी दिया जाता है लेकिन यहां रह रहे 120 लोगों के लिए यह पानी कम ही पड़ता है।
शौचालय तक नहीं है
रैन बसेरों में 120 लोगों से ज़्यादा पुरूष, महिलाएं और बच्चे रहते हैं लेकिन शौचालय के नाम पर सिर्फ 6 शौचालय हैं। रैन बसेरे में रहने वाले कमल बताते हैं कि सुबह लाइन लग जाती है और कई दफा हमें सड़क किनारे या सड़क की दूसरी तरफ जाना पड़ता है। फ्लाईओवर के नीचे खाना बना रहे यादव बताते हैं कि वैसे अब तो दिक्कतों के साथ यहां रहने की आदत पड़ गयी है। बिजली जाती रहती है और पानी आता नहीं है। मेरे परिवार में महिलाओं के अलावा तमाम पुरूष शौच के लिए बाहर ही जाते हैं।
रात में केयर टेकर नदारद
रात तकरीबन डेढ़ बजे इस रैन बसेरा का फिर से निरीक्षण किया गया। इस दौरान बसेरा में कोई भी केयर टेकर मौजूद नहीं था। गर्मी से राहत देने के लिए यहां दो कूलर लगे थे लेकिन कई बिस्तरों पर बेघरों के लिए चादर तक नहीं थी। ऊपर टैंट कई जगह से फटा हुआ है। पंखा भी आधा लटका हुआ दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं, लोगों का कहना है कि शाम को कूलर में पानी डालने के बाद केयर टेकर गायब हो जाता है। इसके बाद न तो कूलर की जांच की जाती है और न ही उसमें दोबारा पानी डाला जाता है। 11 बजे के बाद हर रात कूलर से गर्म हवा निकलती है। इसलिए लोग सोने के लिए रात में बसेरा से बाहर चले जाते हैं।
बेघरों को डेंगू-चिकनगुनिया का खतरा
यूं तो समर प्लान के तहत बेघरों के लिए रैन बसेरा में मच्छरों के खात्मे के लिए दवा का छिड़काव करना जरूरी है। इसके अलावा हर रोज यहां मच्छर भगाने के लिए कॉइल भी लगाने का नियम है। इसके लिए बोर्ड की ओर से बकायदा बजट भी दिया जाता है। बावजूद इसके कल सराय काले खां रैन बसेरा में ये कॉइल नजर नहीं आया। यहां मच्छरों से लोग परेशान थे। इनका कहना था कि यहां आज तक मच्छर भगाने के लिए दवा नहीं छिड़की गई है।
अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोप
बेघरों ने उस वक्त अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए जब उनसे समर प्लान के तहत हर दिन निरीक्षण करने वाले डिवीजनल इंजीनियर के बारे में पूछा। बेघरों का कहना है कि पिछले 20 दिन से उनके पास कोई भी अधिकारी सुविधाओं के बारे में पूछने नहीं आया है। न ही यहां किसी एनजीओ ने औचक निरीक्षण कर अफसरों की शिकायत की है। जबकि यही अधिकारी हर दिन डीयूएसआईबी को रिपोर्ट भेज रहे हैं।
100 फीसदी सुविधाएं किसी भी बसेरे में नहीं
सेंट्रल फॉर होलिस्टिक डिवलपमेंट (सीएचडी) के कार्यकारी निदेशक सुनील कुमार अलेड़िया ने कहा कि दिल्ली के किसी भी रैन बसेरा में 100 फीसदी सुविधाएं मौजूद नहीं है। सरकार और डीयूएसआईबी भले ही लाख दावे करे, लेकिन सच यही है कि जमीनी स्तर पर बेघरों की सुनने वाला कोई नहीं है। फिर चाहे वह समर प्लान हो या फिर विंटर। ठंड से ज्यादा गर्मियों में बेघरों की मौत हो रही है। लेकिन सरकार को कोई चिंता नहीं।
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