सत्ता बदलते ही कई दरोगा यादव से ‘सिंह’ हो गए
|यूपी में सत्ता परिवर्तन के साथ ही यादव पुलिसकर्मियों की वर्दी पर लगी नेमप्लेट से ‘यादव’ शब्द हटने लगा है। अब इस सरनेम के स्थान पर कुमार व सिंह दिखने लगे हैं। चर्चा है कि ट्रांसफर और पूर्वाग्रह से बचने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
जिस दिन चुनाव के नतीजे आए, उसी दिन ईकोटेक-3 थाने में एक यादव सब इंस्पेक्टर को बीजेपी के एक कार्यकर्ता ने हड़का दिया था। इस बीच, सरनेम छुपाने का नया ट्रेंड सामने आया है।
चर्चा तो यह भी है कि इनमें ऐसे भी पुलिसवाले हैं जिनके डॉक्यूमेंट्स में यादव सरनेम नहीं है, लेकिन रौब जमाने के लिए ये नेमप्लेट पर सरनेम यादव लिखते थे। ग्रेटर नोएडा, नोएडा और देहात में तैनात सिपाही से लेकर सब इंस्पेक्टर तक ने यादव के बजाय कुमार व सिंह लिखी नेमप्लेट वर्दी पर लगा ली है। ग्रेटर नोएडा में चार चौकी इंचार्जों ने नेमप्लेट चेंज की है।
चर्चा है कि हाईलाइट होने से बचने के लिए वे ऐसा कर रहे हैं। आमलोग तो यादवों पर कॉमेंट कर ही रहे हैं, विभाग में भी हो रहे हैं। उन पर ट्रांसफर की तलवार लटक रही है। लिहाजा वे अब चुपचाप यादव शब्द को छुपाकर कुमार व सिंह बनने में ही भलाई समझ रहे हैं।
गौतमबुद्धनगर में पोस्टिंग मलाईदार मानी जाती है। यहां तैनाती के लिए तमाम हथकंडे अपनाए जाते हैं। कहा जाता है कि पोस्टिंग में अपने आकाओं से पैरवी के साथ-साथ रिश्वत भी चलती है। कई पुलिसकर्मियों के बारे में चर्चा रहती है कि यहां पोस्टिंग कराने के लिए उन्होंने भारी-भरकम रकम खर्च की थी और उसकी भरपाई के लिए अवैध वसूली में जुट गए।
अन्य विभागों की तरह पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग भी सत्ता के अनुसार बदल जाती है। एसपी सरकार के दौरान जिले में यादव पुलिसकर्मियों की भरमार हो गई।
कप्तान से लेकर सिपाही तक में यादवों की संख्या काफी है। कई पुलिसवाले एसपी सरकार के दौरान हनक दिखाते रहे। कई तो जाति की आड़ में अपने सीनियर व आम जनता को हड़का देते थे। इनकी धमकियों के ऑडियो वायरल भी हुए थे।
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