तीसरी तिमाही के नतीजों पर नोटबंदी की चोट, कंपनियों को लॉन्ग-टर्म में फायदे की उम्मीद
|साबुन से लेकर शैंपू और सीमेंट से लेकर गाड़ियों तक सभी प्रमुख कंपनियों के वित्तीय परिणामों पर नोटबंदी का असर नजर आ रहा है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि ‘छोटे समय की इस परेशानी के लॉन्ग-टर्म में फायदे’ होंगे। सूचीबद्ध कंपनियों के ताजा तिमाही परिणामों के विश्लेषण से यह साफ है कि नोटबंदी का असर लगभग सभी क्षेत्र की कंपनियों पर रहा है, यह अलग बात है कि राजीव बजाज जैसे अपवाद को छोड़ दें तो किसी ने भी सार्वजनिक रूप से इसकी आलोचना नहीं की है।
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कंपनियां यह स्वीकार कर रही हैं कि नोटबंदी का असर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में उनके वित्तीय प्रदर्शन पर रहा है, लेकिन साथ ही वे यह भी जोड़ती हैं कि सरकार का यह कदम सकारात्मक पासा पलटने वाला होगा और एक ‘नया सामान्य’ स्तर बनायेगा। इन कंपनियों में अंबानी, टाटा, महिंद्रा आईटीसी, हिंदुस्तान यूनीलीवर, डाबर और बजाज जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं।
मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा, ‘नोटबंदी के कारण तिमाही में घरेलू मांग वृद्धि की गति कमजोर हुई। हालांकि, नोटबंदी का असर खप जाने और अर्थव्यवस्था ‘नये हालात’ के अनुकूल होने पर मांग को नये सिरे से बल मिलने की उम्मीद है।’ उधर आदित्य बिड़ला समूह की अल्ट्राटेक ने निवेशकों को एक प्रस्तुति में नोटबंदी को ‘फौरी तकलीफ लेकिन लंबे समय का फायदा’ करार दिया और कहा कि इसके कारण नकदी की कमी सहित अनेक तात्कालिक दिक्कतें हुई हैं।
टाटा समूह की कंपनी टाइटन ने कहा है कि उपभोक्ता केंद्रित उसके सभी कारोबारों में तीसरी तिमाही में भारी गिरावट आई। महिंद्रा एंड महिंद्रा का कहना है कि तीसरी तिमाही में नोटबंदी का असर वाहन और ट्रैक्टर उद्योग पर देखने को मिला। नवंबर-दिसंबर 2016 में मांग में अच्छी खासी गिरावट आई।
बता दें कि सरकार ने 8 नवंबर 2016 की रात नोटबंदी की घोषणा की और उस समय चलन में रहे 500 और 1000 रुपये के सभी नोटों को एक झटके में अमान्य कर दिया। इसके बाद नकदी की कमी से विशेषकर उपभोक्ता केंद्रित कंपनियों की बिक्री में भारी गिरावट देखने को मिली।
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