वाणिज्य मंत्रालय निर्यात को जीएसटी से बाहर रखने के पक्ष में
|अधिकार संपन्न जीएसटी परिषद की समक्ष अपनी बात रखते हुये वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों ने निर्यातकों को वस्तु एवं सेवाकर से मुक्त रखने को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि निर्यातकों द्वारा पहले कर चुकाये जाने और बाद में उसका रिफंड लेने से उनकी कार्यशील पूंजी का नुकसान होता है।
अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा कठिन वैश्विक परिस्थिति में निर्यात को प्रोत्साहन देना जरूरी है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने बाद में संवाददाताओं को संबोधित करते हुये कहा कि कर रिफंड में कम से कम छह से आठ माह का समय लग जाता है और इसलिये यह जरूरी है कि निर्यातकों को कर से शुरू से ही छूट दे दी जाये।
उन्होंने परिषद से कहा है कि निर्यातकों को इस तरह से देखा जाना चाहिये कि उन्हें पहले कोई कर नहीं देना पड़े। यह :जीएसटी: निर्यातकों के सिर पर एक और देनदारी नहीं बननी चाहिये … हम नहीं चाहते कि निर्यातकों को दोहरी मार पड़े।
निर्मला ने श्रमिकबहुल क्षेत्रों जैसे सीमेंट, चमड़ा और बागवानी को भी प्रोत्साहन दिये जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों को या तो पूरी तरह से जीएसटी से छूट दी जानी चाहिये या फिर सबसे निचले स्तर की दर से कर लगाया जाना चाहिये।
चमड़ा क्षेत्र के बारे में उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि क्या इस क्षेत्र को पूरी तरह से कर से छूट दी जा सकती है क्योंकि यह क्षेत्र काफी रोजगार के अवसर पैदा करता है।
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