राजन की बैंकों को कर्ज की दर कम करने को प्रेरित किया, विदेशी पूंजी निकलने की आशंका खारिज की
|बैंकों ने कोई न कोई कारण बता कर बैंकों ने नीतिगत दर में कटौती का मामूली लाभ ही ग्राहकों तक पहुंचाया है और उनका ताजा बहना डालर जमाओं की निकासी की आशंका है।
राजन ने मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा में मुद्रास्फीति नियंत्रण को अपनी प्राथमिकता बताते हुये नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया और यथास्थिति बनाये रखी।
गवर्नर राजन ने यहां समीक्षा बैठक के बाद संवादाताओं से बातचीत में अपनी आलोचनाओं को कोई महत्व न देते हुए एक जवाब में कहा कि उन्हें लोगों से धन्यवाद भी मिलता है। यहां तक कि वह जब विमान में यात्रा कर रहे होते हैं अग्यात लोगों से उन्हें धन्यवाद के संदेश मिलते हैं। रिजर्व बैंक गर्वनर के तौर पर तीन साल के कार्यकाल को उन्होंने बहुत अच्छा बताया।
राजन चार सितंबर को गवर्नर का पद छोड़ देंगे और अपने अध्ययन अध्यापन के काम में लौट जायेंगे। तीन साल का उनका कार्यकाल चार सितंबर को समाप्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि गवर्नर के नेतृत्व में संभवत: यह आखिरी मौद्रिक समीक्षा थी। इसके बाद यह काम छह सदस्यों की मौद्रिक नीति समिति करेगी।
राजन ने एक तरह से नाराजगी जताते हुये कहा कि बैंकों ने ग्राहकों को सस्ते कर्ज का लाभ बहुत कम दिया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि कंपनियों से कर्ज की मांग बढ़ने पर आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और सरकारी बैंकों की बैलेस-शीट की सफाई के बाद कंपनियों के कर्ज के लिए प्रतिस्पर्धा बढेगी और रिण की दरें नरम होंगी।
राजन ने बैंकों पर ब्याज दरें नहीं घटाने के लिये नित नये बहाने बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अब प्रवासी भारतीय विदेशी मुद्रा :एफसीएनआर-बी: खाते में जमाओं के विमोचन को लेकर बढ़ी चिंता को इसकी वजह बताया जा रहा है, जबकि रिजर्व बैंक सार्वजनिक तौर पर यह आश्वासन दे चुका है कि इससे बाजार में कोई उथल पुथल नहीं होगी।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
बिज़नस न्यूज़, व्यापार समाचार भारत, वित्तीय समाचार, News from Business