विश्वास और आक्रामकता से भरे हैं आप विधायक
|आम आदमी पार्टी के विधायकों का विश्वास लगातार बढ़ता जा रहा है और अपनी बात कहने के लिए उनका रुख लगातार आक्रामक भी होता जा रहा है। दिल्ली विधानसभा के विशेष सेशन में उन्होंने जाहिर कर दिया है कि वे सदन में किसी की भी खटिया खड़ी कर सकते हैं। खास बात यह भी है कि सदन में सरकार की रणनीति का भी वे प्रभावी तरीके से पालन कर रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने विधानसभा का दो दिन विशेष सेशन तीनों एमसीडी में कथित भ्रष्टाचार व कुप्रशासन के पर्दाफाश के लए बुलाया था। लेकिन पहले दिन यह सेशन उपराज्यपाल नजीब जंग को घेरने के लिए इस्तेमाल किया गया। सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले आम आदमी पार्टी के विधायकों ने परिसर में उपराज्यपाल के खिलाफ मार्च निकाला और आरोप लगाए कि वह भ्रष्ट राशन दुकानदारों का पक्ष ले रहे हैं। उसके बाद सदन में भी उन्होंने इस मामले को उठाया और प्रभावी रूप से उपराज्यपाल को टारगेट किया। मामला तो राशन दुकानदार से जुड़ा था लेकिन इसकी आड़ में उनका आरोप था कि केंद्र सरकार की शह पर उपराज्यपाल आप सरकार को शासन चलाने में रोड़े पैदा कर रहे हैं।
राजनिवास के खिलाफ ये रणनीति इतनी धारदार थी कि करीब दस विधायकों ने इस चर्चा में भाग लिया, जिसमें भावना गौड़, नारायणदत्त शर्मा, अमानतुल्ला खां, विशेष रवि, सोमनाथ भारती, राजेंद्र पाल गौतम, मदनलाल, नितिन त्यागी, संजीव झा आदि शामिल थे। सरकार ने भी इनका पूरा समर्थन किया और इस मसले पर उपराज्यपाल द्वारा राशन की दुकान का लाइसेंस वापस करने के खिलाफ एक समिति का गठन कर दिया और जो अगले सेशन में अपनी रिपोर्ट सदन में रखेगी। विशेष उल्लेख के दौरान भी आप विधायकों ने प्रभावी रूप से दिल्ली व अपने क्षेत्र की समस्याओं को उजागर किया, जिसमें पुरानी दिल्ली में पानी की समस्या, अवैध निर्माण आदि से जुड़े मसले शामिल थे।
इस विशेष सेशन की कार्यवाही ने यह भी दर्शा दिया कि सदन में विपक्ष की नहीं चलने वाली। पहली बात तो यही कि 70 सदस्यीय विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 67 विधायक हैं, जबकि विपक्ष के तीन ही विधायक हैं और इनमें से एक ओपी शर्मा फिलहाल सस्पेंड चल रहे हैं। कल जब नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने ऐप बेस्ड प्रीमियम बस योजना के खिलाफ सदन में काम रोको प्रस्ताव लाने की कोशिश की तो सत्ता पक्ष ने उन्हें खासा हूट किया और उन्हें बोलने देने में व्यवधान पैदा किया। खास बात यह भी हुई कि विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने उनके प्रस्ताव को सदन में रखने लायक ही नहीं माना और उसे खारिज कर दिया।
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