SC ने कहा, सिर्फ निर्भया फंड बनाना काफी नहीं
| सेक्शुअल अपराध मामले में पीड़ितों को मुआवजा देने के मामले में केंद्र और राज्य सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्भया फंड के 2 हजार करोड़ रुपये सिर्फ दिखाने व रखने के लिए नहीं है बल्कि फंड को डिस्ट्रिब्यूट करना जरूरी है। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि फंड बनाना काफी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि रेप विक्टिम के रिलीफ के लिए नैशनल पॉलिसी बनाई जानी जरूरी है। अदालत ने कहा कि सिर्फ निर्भया फंड बनाने से नहीं होगा। यह सिर्फ जुबानी जमा खर्च की तरह हो गया है। केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करे कि रेप विक्टिम को पर्याप्त मुआवजा मिले।
अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि सीआरपीसी की धारा-357 ए के तहत मिलने वाले रिलीफ सुनिश्चित हो और इस बारे में जवाब मांगा है। साथ ही अदालत ने पूछा है कि विक्टिम को मुआवजा देने की क्या स्कीम है और कितनों को मिला है यह बताया जाए, मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों को राहत देने के लिए नैशनल स्कीम के बारे में सरकार से बताने को कहा है। अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले में नैशनल स्कीम बनाए। केंद्र सरकार और राज्यों को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई थी कि सभी राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश बताए कि रेप पीड़ित महिलाओं के मुआवजे का क्या प्रावधान है? बजट में क्या प्रावधान है और इसका कितना लाभ हुआ है? इसके लिए बनाए गए ऐक्ट के तहत कितने रेप पीड़िताओं को मुआवजा मिला है, यह भी बताया जाए। अदालत से यह भी कहा गया कि सरकार यह बताए कि किस स्टेज पर कितना मुआवजा दिया गया। एफआईआर से लेकर आखिर तक में किस स्टेज पर क्या दिया गया? गवाहों की सुरक्षा को लेकर क्या स्कीम बनाई गई है? ऐप बेस्ड टैक्सी को रेग्युलेट करने के लिए क्या क्या हो रहा है? याचिका में कहा गया था कि निर्भया फंड में जो पैसा जमा है उसको खर्च करने को लेकर सरकार की क्या स्कीम है, इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उक्त तमाम सवालों पर केंद्र सरकार और राज्यों से जवाब दाखिल करने को कहा है।
मामले की सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी इंदिरा जयसिंह ने दलील दी कि निर्भया गैंग रेप मामले के बाद निर्भया फंड बनाया गया ताकि रेप पीड़िता को मुआवजा मिले। फंड में 2 हजार करोड़ रुपये हैं लेकिन ये रुपये कैसे राज्यों को दिए जाएं और कैसे पीड़िता तक पहुंचें, इस पर कोई स्कीम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस पर कहा कि सिर्फ फंड बनाना काफी नहीं है। फंड का डिस्ट्रिब्यूशन कैसे हो और कैसे इसका इस्तेमाल और खर्च हो, इसके लिए सरकार को स्कीम बनानी होगी।
मामले की सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी इंदिरा जयसिंह ने यह भी कहा कि रेप पीड़िताओं के लिए देश भर के अलग-अलग राज्यों द्वारा अलग-अलग मुआवजा देने का प्रावधान है। कई राज्यों में 50 हजार दिए जाने का प्रावधान है तो गोवा अकेला राज्य है जहां 10 लाख रुपये दिए जाते हैं। इस मामले में एक यूनिफर्म पॉलिसी होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट रेप पीड़ितों को मुआवजा देने, उसके पुनर्वास नीति आदि से संबंधित पांच अलग-अलग याचिकाओं की सुनवाई कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने रेप विक्टिम की सहायता के लिए पहले भी दिए हैं आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने रेप विक्टिम कॉम्पेंसेशन के मामले में देश भर में एक यूनिफर्म पॉलिसी बनाए जाने की बात कही है। फरवरी में दिए एक आदेश में एक रेप विक्टिम ब्लाइंड महिला के पुनर्वाश के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए कहा था कि देश भर में एक तरह की रेप विक्टिम कॉम्पेंसेशन स्कीम बनाई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वह ताउम्र प्रति महीने 8 हजार रुपये रेप विक्टिम महिला को भुगतान करे। साथ ही तमाम राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था कि शारीरिक तौर पर अक्षम रेप विक्टिम के पुनर्वास के लिए यूनिफर्म कॉम्पेंसेशन स्कीम बनाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश भर में एक यूनिफॉर्म पॉलिसी होना जरूरी है।
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