रैगिंग में NHRC ने मांगा जवाब
| सेक्टर-30 स्थित डीपीएस रैगिंग मामले में एफआईआर दर्ज होने के तीन बाद भी भले नोएडा पुलिस आरोपी छात्रों के बयान दर्ज न कर पाई हो, लेकिन नैशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन (एनएचआरसी) ने इस केस में मीडिया रिपोर्ट्स पर स्वत: संज्ञान ले लिया है। एनएचआरसी ने यूपी के चीफ सेक्रेटरी, गौतमबुद्धनगर के डीएम और एसएसपी को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
नोटिस में एनएचआरसी की तरफ से कहा गया है कि यह घटना जीवन के अधिकार और युवा छात्रों के स्वाभिमान से जुड़ा गंभीर मामला है। कमिशन की तरफ से कहा गया है कि एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स में रैगिंग पूरी तरह प्रतिबंधित है और इस संबंध में राघवन कमिटी की तरफ से स्पष्ट गाइडलाइंस भी जारी की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट भी 2009 के एक मामले की सुनवाई में रैगिंग को बदनुमा दाग कह चुका है, जिसे शिक्षा संस्थानों से चेहरे से हटाने की जरूरत है। स्कूल रैगिंग के खतरे से स्टूडेंट्स को सुरक्षित रखने के लिए न केवल जिम्मेदार बल्कि कानूनी रूप से बाध्य भी हैं।
एनएचआरसी ने नोटिस में इस खबर का जिक्र किया है कि डीपीएस के 17 सीनियर्स ने 11वीं में पढ़ने वाले दो स्टूडेंट्स को इसलिए बेदर्दी से पीटा क्योंकि उन्होंने रैगिंग का विरोध किया और इसकी जानकारी स्कूल मैनेजमेंट को देने की बात कही। यह घटना उस समय हुई, जब दोनों स्टूडेंट डिनर के बाद मेस से अपने रूम में लौट रहे थे। इस घटना से कुछ दिन पहले ही इनमें से एक स्टूडेंट की सीनियर्स ने रैगिंग की थी। स्कूल मैनेजमेंट ने फर्स्ट एड देने के बाद उसे कुछ दिन तक घर में रहने को कह दिया और घटना के बाद भी स्कूल मैनेजमेंट ने पीड़ित छात्र के परिजनों को पुलिस में रिपोर्ट न दर्ज करने के लिए राजी करने की कोशिश की।
एसपी सिटी दिनेश यादव ने कहा है कि अभी आरोपी छात्रों का बयान नहीं लिया जा सका है। इसके लिए नोटिस जारी किए जा रहे हैं।
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